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२३०. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
सत्याग्रह फार्म
मुझे कहना ही पड़ेगा कि इस समय तो यह फार्म दिन-प्रतिदिन तरक्की कर रहा । आबादी काफ़ी बढ़ गई है और फार्म एक नये गाँव जैसा दिखता है । कर्म- चारियों और सत्याग्रहियों तथा उनके परिवारोंके लिए जिस इमारतके सम्बन्धमें मैं लिख चुका हूँ, उसके अतिरिक्त चार तम्बू हैं । उनमें से एक तम्बू में श्री कैलेनबैक और सत्याग्रही रहते हैं । मकान स्त्रियोंको दे दिया गया है ।
[ नई ] इमारत बनानेमें सत्याग्रही और श्री कैलेनबैक मजदूरोंका काम कर रहे हैं । वे पानी लाना, लकड़ियाँ काटकर लाना, गाड़ी लादना उतारना और स्टेशनसे सामान ढोकर लाना इत्यादि सभी काम कर रहे हैं । इस समय तो पाठशालाके छात्रोंका भी यही काम है । सब लोग इतनी मेहनत करते हैं कि शाम होते-होते थक कर चूर हो जाते हैं ।
श्री गोपाल नायडूने, जिनके जिम्मे रसोईका काम है, तो हद कर दी है। वे सुबह सवा छः बजेसे रातके नौ बजे तक रसोईके काममें लगे रहते हैं । वे सामग्री- को अपनी चीजकी तरह बहुत ही सावधानी और मितव्ययितासे काममें लेते हैं और कुछ भी बरबाद नहीं होने देते ।
अन्य महिलाओं द्वारा निरीक्षण
रविवारको फार्मका निरीक्षण करनेके लिए कुछ अन्य महिलाएँ आई थीं। वे थीं, श्रीमती सेबास्टियन, श्रीमती फ्रांसिस, श्रीमती चेल्लन नागप्पन, श्रीमती मारीमुत्तु पडियाची, श्रीमती एल्लरि मुनसामी और श्रीमती काथा पिल्ले । ये सब फार्म [ की व्यवस्था ] से सन्तुष्ट होकर लौटी हैं; जान पड़ता है, वे फार्ममें आनेका निश्चय करेंगी।
व्यापारियोंका आगमन
इनके अतिरिक्त श्री काछलिया, इमाम साहब, अब्दुल कादिर बावजीर, मौलवी महमूद मुख्तयार साहब, श्री अस्वात, श्री फँसी, श्री हाजी हबीब, श्री नगदी, श्री इब्रा- हीम कुवाड़िया, श्री अहमद मियाँ, श्री सुलेमान मियाँ, श्री मूसा इसाकजी, श्री गुलाम मुंशी, श्री अहमद वाजा, श्री मुसा भीखजी, श्री अहमद करोदिया, श्री मूसा इब्राहीम पटेल, श्री अमद ममद्दू, श्री मिर्जा, श्री इब्राहीम हजारी, श्री प्रभु, श्री गोसाई और श्री ऐंथनी आये थे । उन्होंने पूरा दिन वहाँ बिताया और सत्याग्रहियोंवाला खाना खाकर लौट गये। सभीने काममें भी थोड़ा-बहुत हाथ बँटाया ।
कैलेनबैकका सम्मान
फिर [ जो लोग आये थे] उनमें से बहुतोंका विचार हुआ कि श्री कैलेनबैकके प्रति आभार प्रदर्शन किया जाये। इसलिए भोजनके बाद एक सभा की गई। इसमें Gandhi Heritage Porta