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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जो हिमायत कर रहे हैं, इससे वे वंचित हो जायेंगे। दक्षिण आफ्रिकाके बाहर सभीसे उनको सहानुभूति और समर्थन केवल इसलिए प्राप्त हुआ है कि उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि उनकी माँगें उचित तथा मर्यादित हैं और ऐसी हैं जिन्हें अन्तमें पूरा करना ही होगा। जहाँतक उपनिवेशमें प्रवेशका सम्बन्ध है, उनकी माँग केवल इतनी ही है कि कानूनमें जाति या रंगको लेकर कोई भेदभाव न हो; और वर्तमान कानूनसे भारतीयोंका कौमके रूपमें होनेवाला अपमान न हो ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९१०

२४७. एक दिलचस्प चित्र

हमारा इस सप्ताहका कोड़ पत्र टॉल्स्टॉय फार्मके -- ट्रान्सवालमें लॉलीके पास बसाई गई सत्याग्रहियोंकी बस्तीके -- पहले-पहले निवासियोंका एक दिलचस्प फोटोग्राफ' है । पाठकोंको फोटोग्राफ इसलिए और भी पसन्द आयेगा कि श्री कैलेनबैक भी उसमें मौजूद हैं। श्री कैलेनबैककी उदारताको तो सभी जानते और सराहते हैं। उन्होंने सत्याग्रहियोंके परिवारोंके उपयोगके लिए फार्मकी सारी जमीन तो दी ही है, हमारे संघर्षको अपनी सम्पूर्ण सहानुभूति भी प्रदान की है। लेकिन भारतीय समाजके मनपर शायद सबसे ज्यादा प्रभाव तो इस बातका पड़ेगा कि श्री कैलेनबँक जिस ध्येयको अपना लेते हैं उसे पूरा करनेमें अक्षरशः आस्तीन चढ़ाकर जुट जाते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९१०

२४८. लॉर्ड ऍम्टहिलकी सहायता

लॉर्ड ऍम्टहिल भारतीयोंकी सहायता कर रहे हैं। लॉर्ड-सभामें उनके सवालपर जो बहस हुई उसका तारसे प्राप्त विवरण [ का सारांश ] हम दे ही चुके हैं।

उस सारांशसे प्रकट होता है कि ट्रान्सवालकी सरकार साम्राज्य-सरकारको भुलावेमें डालती ही रहती है। यह दोषारोपण कि निर्वासित लोगोंने पूरी जानकारी नहीं दी, निराधार है। उसी प्रकार उसका यह कहना भी असत्य है कि हम भारतीयोंके

१. देखिए टॉल्स्टॉय फार्मके प्रारम्भिक निवासियोंका चित्र (६-८-१९१० के इंडियन ओपिनियनका क्रोडपत्र ) ।

२. देखिए इंडियन ओपिनियन, ३०-७-१९१० और "लॉर्ड-सभामें ट्रान्सवालके भारतीयों की चर्चा", पृष्ठ ३२३-२४ । Gandhi Heritage Portal