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भाषण : स्वागत-समारोहमें

निकलनेवाले हैं। श्री पोलक अभी-अभी मद्राससे लौटे हैं। उन सभीका खयाल है कि उनको फोक्सरस्टमें रोक दिया जायेगा। वे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं ।

श्री गांधीने आज एक भेंटमें कहा कि मुझे प्रिटोरिया के एक समाचारपत्र में प्रकाशित इस बयानकी कोई भी जानकारी नहीं है कि संघ-सरकारने एशियाइयोंके मामले में बरती जानेवाली नीतिके बारेमें चुनावों के बाद विचार किया है और उसका इरादा अधिवासी भारतीयोंको कुछ रियायतें देनेका है। मेरा खयाल है कि प्रतिबन्धक धाराओंको पहले की तरह ही जोर-शोरसे लागू किया जायेगा। उन्होंने बतलाया कि मुझें जोहानिसबर्गसे एक तार मिला है जिसमें कहा गया है कि वहाँके सबसे पक्के सत्याग्रहीको आठवीं बार गिरफ्तार किया गया है ।

[ अंग्रेजीसे ]
रैंड डेली मेल, ५-१०-१९१०

२८२. भाषण : स्वागत समारोह में'

डर्बन
अक्तूबर ४, १९१०

(गांधीजी) बोलनेके लिए खड़े हुए। उन्होंने भाषण अंग्रेजीमें शुरू किया ही था कि श्रोताओंने 'तमिल' की आवाज लगाई। गांधीजीने कहा कि यथासमय यह भी होगा, बशर्ते कि जनरल स्मट्स मुझे जेलमें भेज दें। इसके बाद उन्होंने श्री जे० एम० लाजरस, श्री रुस्तमजी तथा और लोगोंकी, जिन्होंने इस आयोजनकी सफलताके लिए परिश्रम किया था, प्रशंसा की और पुराने सत्याग्रहियोंको संघर्ष में सम्मिलित होनेको आमन्त्रित करते हुए उनके मनपर यह बात अंकित की कि इस संघर्ष में से हमें विजयी होकर ही निकलता है। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वासित व्यक्तियोंका दूसरा जत्था जब आये तब आप उन लोगोंकी सार-सँभाल करें। उन्होंने यह बताते हुए कि श्री रिचने केप टाउनमें काम सँभाल लिया है, सलाह दी कि समाजकी ओरसे श्री रिचकोउनके सम्मानार्थ निमन्त्रित किया जाये ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ८-१०-१९१०

१. श्री पोलकके सम्मानमें ।

२. इसके पश्चात गांधीजी गुजरातीमें बोले; इस भावणका पाठ उपलब्ध नहीं है। १०-२३