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२८७. मानपत्र : एच० एस० एल० पोलकको '

जोहानिसबर्ग
अक्तूबर ९, १९१०

प्रिय महोदय,

आपको अपने बीच पुनः पाकर हम, संघकी ओरसे, आपका हार्दिक स्वागत करते हैं। भारतमें आपके कार्यको हम बहुत ध्यानसे देखते रहे हैं। प्रत्येक भारतीय मानता है कि वहाँ आपने जो शानदार काम किया उससे प्रकट है कि इस कामके लिए आपसे बढ़कर शायद ही कोई मिलता। आपने अनुपम परिश्रम करके समस्त भारतको इस प्रान्तकी सही-सही स्थितिसे अवगत कराया है। सत्याग्रही भारतीयोंके संकटापन्न परिवारोंकी तथा सत्याग्रह-संग्राममें सहायताके लिए भारतमें जो चन्दा एकत्र किया गया है, वह एक अनूठी बात हुई है ।

दक्षिण आफ्रिकाका समस्त भारतीय समाज चाहता है कि गिरमिटिया मजदूरोंकी प्रथा बन्द हो और इस सम्बन्धमें आपने जो कार्य किया है उससे आशा बँधती है कि इस क्रूरतापूर्ण प्रथाका शीघ्र ही अन्त हो जायेगा ।

इस उद्देश्यके लिए आपने तथा श्रीमती पोलकने एक-दूसरेसे विलग रहकर जिस त्यागका परिचय दिया है उसे हम कभी नहीं भूलेंगे। हमें भरोसा है कि आप जो मानवतापूर्ण कार्य कर रहे हैं उसे जारी रखनेके लिए परमात्मा आपको तथा आपके परिजनोंको दीर्घायु करेगा।

आपके विश्वस्त,
अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष
मो० क० गांधी
अवैतनिक मंत्री

[ अंग्रेजीसे ]
रैंड डेली मेल, १०-१०-१९१०



१. पोलकके स्वागतार्थ फोईसबर्ग मस्जिद में एक सभा हुई थी। उसमें ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा पेश किये गये इस मानपत्रको सोराबजीने पढ़ा था और फिर यह रैंड डेली मेलमें “भारतीय और गिरमिटिया मजदूर " तथा १५-१०-१९१० के इंडियन ओपिनियन में “ जोहानिसबर्ग में श्री पोलकका आगमन " शीर्षकके अन्तर्गत प्रकाशित हुआ था ।