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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मृत्यु हुई है। इसलिए हम इस खूनका दोषी सरकारको ठहराते हैं। उसने खून किया है। फिर भी हम उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। इसलिए हम इसे कानूनकी आड़में हत्या कहते हैं ।

नागप्पन और नारायणस्वामी तो इस प्रकार चले गये। अन्य भारतीयोंपर तमिल समाजका ऋण बढ़ता जा रहा है। तमिल समाज दिन-ब-दिन चमकता जा रहा है। तमिल समाजकी सेवाओंका बदला किस प्रकार चुकाया जा सकेगा ? अन्य भारतीयोंको उचित है कि वे तमिल समाजसे सबक सीखें और उनका अनुकरण करके बिना शोर-गुल किये देशके लिए चुपचाप कष्ट-सहन करें। यदि [ भारतीय ] समाज ऐसा न करेगा तो वह अपना मान गँवा बैठेगा।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २२-१०-१९१०

२९३. भारतीयोंका क्या होगा ?

हम पिछले सप्ताह खबर दे चुके हैं कि संसदकी आगामी बैठकमें एक ऐसा प्रवासी कानून स्वीकृत किया जायेगा जो समूचे दक्षिण आफ्रिकापर लागू होगा। यह समाचार हमें अधिकृत रूपसे मिला है। उसपर पूर्ण विश्वास करनेका कारण नहीं, तो भी इतना निश्चित है कि भारतीय समाजका सतर्क रहना आवश्यक है। सम्भवतः संसद प्रवासी कानूनमें कुछ लुभावनी बातें जोड़ देगी और [ इस तरह ] समाजको भ्रममें डालकर उक्त कानून पास कर देगी। कदाचित् इस आशयकी धारा जोड़ी जायेगी कि दक्षिण आफ्रिकाके निवासी भारतीय जिसे चाहेंगे वही नया भारतीय प्रविष्ट हो सकेगा। यदि केप या नेटाल या ट्रान्सवालके भारतीय इस जालमें फँस गये तो समाजकी नाक कट जायेगी और भारतीयोंको कलंक लग जायेगा। हमें यह पूरी तरह याद रखना चाहिए कि जिस कानूनके द्वारा भारतीयोंके विरुद्ध इसलिए प्रतिबन्ध लगे कि वे भारतीय हैं तो ऐसे कानूनको हमें स्वीकार नहीं करना है। जब समस्त दक्षिण आफ्रिकाके लिए कानून बनाया जाये तब समाजको यह उचित है कि वह दक्षिण आफ्रिकाके सभी भारतीयोंको इकट्ठा करे, उनसे परामर्श करे और फिर जो कदम उठाना उचित हो वह उठाये । इसमें यदि कोई उतावली करेगा अथवा भारतीयोंकी कोई सभा या कोई भारतीय नेता किसी प्रकारकी स्वीकृति दे देगा तो उसे पीछे पछताना पड़ेगा।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २२-१०-१९१०