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पत्र : अखबारोंको

मामलेकी पेशीकी अगली तारीख २१ सुनाकर निजी मुचलकेपर उन्हें छोड़ दिया गया । यह सोचकर कि शायद श्रीमती सोढा किसी गलतफहमीके कारण गिरफ्तार की गई हैं, मैंने मुख्य प्रवासी अधिकारीको फिर तार दिया, जिसमें उनके बच्चोंके बारेमें जानकारी देते हुए बताया कि वे टॉल्स्टॉय फार्म जा रही हैं और लड़ाई समाप्त होते ही वे ट्रान्सवालसे चली जायेंगी । मैंने तारमें यह भी बता दिया कि अपने पतिके जेलसे छूटने तक ही वे टॉल्स्टॉय फार्म में रहेंगी । इसका जवाब मुझे फोक्सरस्टमें यह मिला कि यदि श्रीमती सोढा तुरन्त नेटाल नहीं लौट जायेंगी तो उनपर एक निषिद्ध प्रवासी होनेके नाते मुकदमा चलाया जायेगा । परन्तु चूँकि मामलेकी तारीख आगे बढ़ा दी गई थी, इसलिए उन्होंने और मैंने अपनी यात्रा जारी रखी। कोई और नई उलझनें पैदा न हो जायें, इसलिए ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री काछलियाने गृह मन्त्रीको तार' द्वारा गिरफ्तारी से सम्बन्धित सारी परिस्थिति बताकर उनसे प्रार्थना की कि श्रीमती सोढापर से मामला उठा लिया जाये । परन्तु मन्त्रीने नकारात्मक जवाब दिया और कहा कि श्रीमती सोढाके पति निषिद्ध प्रवासी हैं। चूँकि ब्रिटिश भारतीय संघ इस विवादमें स्त्रियोंको नहीं लाना चाहता था इसलिए उसने मन्त्री महोदयसे फिर प्रार्थना की कि श्रीमती सोढाको अस्थायी अनुमतिपत्र ही दे दिया जाये । परन्तु मन्त्रीने ऐसा करनेसे इनकार कर दिया ।

चूँकि श्री सोढा गत अठारह महीनोंसे लगभग लगातार जेलमें हैं, उनका परिवार बिखर गया है और दारिद्र्यावस्थामें पहुँच गया है; और चूंकि सत्याग्रहियोंके परिवारोंका पालन टॉल्स्टॉय आश्रममें ही सार्वजनिक चन्देसे किया जा रहा है इसीलिए श्रीमती सोढाने अस्थायी रूपसे ट्रान्सवालमें प्रवेश किया है ।

यह मामला अभी अदालतके विचाराधीन है। इसलिए इसके कानूनी पहलुओंके बारेमें मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहता । सम्भव है, श्रीमती सोढाने प्राविधिक रूपसे कानून भंग किया हो। यदि ऐसा हो तो जहाँतक सरकारका सम्बन्ध है, यह अपराध उन तमाम भारतीय महिलाओंने भी किया है जिनको ट्रान्सवालमें आने दिया गया है। और जिनका मैंने जिक्र किया है; क्योंकि सरकारका दावा तो निःसन्देह यही है कि वे सारे भारतीय, जिन्हें पंजीयन अधिनियमके मातहत निर्वासित किया गया है, निषिद्ध प्रवासी हैं। परन्तु ऐसा लगता है कि सरकार श्री सोढा और अन्य सत्याग्रहियोंमें कुछ भेद कर रही है, क्योंकि श्री सोढा ट्रान्सवालके युद्ध-पूर्व कालके अपंजीकृत निवासी हैं और दूसरे सत्याग्रही पंजीकृत निवासी हैं। इसीलिए दूसरे सत्याग्रहियोंकी पत्नियों और परिवारोंको, जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, बगैर रोक-टोक प्रान्तमें आने दिया गया है ।


एक सत्याग्रहीकी पत्नी होनेके नाते श्रीमती सोढाके सामने अब इसके सिवा कोई चारा नहीं है कि कानूनकी दृष्टिसे अपराधी सिद्ध होनेपर वे या तो जेल जायें या निर्वासित हों । परन्तु भारतीय स्त्रियोंको इस तरह एकाएक सताना क्यों शुरू किया ? यह 'सताना' ही है; इसे कानूनी कार्रवाई तो नहीं कहा जा सकता । सरकारकी गया

१. देखिए “तार : मुख्य प्रवासी अधिकारीको ", पृष्ठ ३७४ |


२. देखिए “तार : गृहमन्त्रीको", पृष्ठ ३७५ ।


३. देखिए " तार : गृह मन्त्रीको", पृष्ठ ३७६ ।