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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस प्रकार समझौते के रास्ते में विघ्न हैं । समाजकी प्रतिज्ञा पूरी होनेपर भी दूसरी तरहसे हानिकी सम्भावना है। इसकी सावधानी पहलेसे ही रखनी आवश्यक है ।

उपाय

इसके कई उपाय हैं; पहला तो यह कि केप, नेटाल और ट्रान्सवालके भारतीयोंको इकट्ठे होकर लड़ना चाहिए; दूसरा यह कि भिन्न-भिन्न प्रान्तोंके नेता उतावलीमें कोई स्वतन्त्र कदम न उठायें; और तीसरा यह है कि नगर-नगरमें सभाएँ बुलाकर प्रस्ताव पास करें और सरकारको भेजें। संसद और ब्रिटिश सरकार तथा भारत सरकारके पास प्रार्थनापत्र दिये जाने चाहिए। इसपर भी कुछ न हो तो चौथा उपाय सत्याग्रह करना है ।

पोलकका पत्र

श्री पोलकने सब समाचारपत्रोंको एक पत्र भेजा है, वह पढ़ने योग्य है ।

प्रवास कैसे बन्द हो ?

ड्यूक ऑफ् मार्लबरो एक सुविख्यात अंग्रेज सामन्त हैं। उन्होंने इंग्लैंडमें भाषण देते हुए कहा है कि उपनिवेशोंमें नये लोगोंके प्रवेशपर नियन्त्रण रखनेके लिए किसी व्यक्तिके पासकितना रुपया है, इस बातका विचार करना उचित नहीं है। जानना यह चाहिए कि उसका आचरण कैसा है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सज्ज{न वर्ण, जाति अथवा रंग-भेदके विरुद्ध हैं ।

छोटाभाईका मुकदमा

अब बहुत दिन बाद इस मुकदमेका न्यायाधीशोंने निर्णय दे दिया है। तीन न्यायाधीश थे । तीनोंने अपना-अपना मत प्रकट किया । दो न्यायाधीशोंने श्री छोटा- भाईके विरुद्ध मत प्रकट किया, इससे अपील खारिज हो गई । न्यायाधीश मेसनने श्री छोटाभाईके पक्षमें मत प्रकट किया है। निर्णयके विरुद्ध श्री छोटाभाईने अपील दायर की है, इसलिए उनके पुत्रको [ फिलहाल ] निर्वासित नहीं किया जा सकता। इस अपीलकी सुनवाई दक्षिण आफ्रिकाके सर्वोच्च न्यायालयमें होगी । न्यायपीठपर पाँच न्यायाधीश होंगे और बहुत सम्भव है कि उनमें तीन सर हेनरी डी' विलियर्स, सर जेम्स रॉसइन्स और श्री सॉलोमन होंगे । अपीलमें सम्भवतः श्री छोटाभाई जीतेंगे। न्याया- धीशोंमें मतभेद हो जानेसे यह माना जा सकता है कि ऊपरकी अदालतका निर्णय छोटाभाईके पक्षमें होगा

प्रधान न्यायाधीश

[ आपका ] मत यह है कि अधिनियम ३६ श्री छोटाभाईके पुत्रका संरक्षण नहीं करता; और १९०७ के अधिनियमके अनुसार अधिकार मिलता हो तो भी वह अधिनियम ३६ से समाप्त हो जाता है। उनका कहना यह है कि दोनों कानून एक साथ नहीं चल सकते ।