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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मेरी राय में तो यह मामहोदय}}इतना अधिक महत्त्वपूर्ण है कि इसे उच्चतम न्याया- धिकरणके निर्णयपर भी नहीं छोड़ा जा सकता; क्योंकि हमारे संविधानके अनुसार कोई भी न्यायाधिकरण उन बातोंपर विचार कर ही नहीं सकता जिनके कारण कोई कानून पास किया गया हो; वे बातें अपने-आपमें कितनी ही महत्त्वपूर्ण क्यों नहीं रही हों। वह तो कठोरसे कठोर या नैतिकताकी दृष्टिसे हद दर्जे तक अनुचित कानूनको भी कारगर बनानेके लिए बाध्य है।'

आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
स्टार, १९-११-१९१०

३१९. पत्र : 'स्टार' को

जोहानिसबर्ग
नवम्बर १८ [१९१० ]

महोदय

आपसे मेरा अनुरोध है कि निम्नलिखित पत्र प्रकाशित करनेकी कृपा करें। मैंने यह पत्र उन सज्जनोंके नाम लिखा है जो अगस्त १९०८ के एशियाई सम्मेलनके सदस्य थे ।

आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
स्टार, १९-११-१९१०

१. दक्षिण आफ्रिकी संघ-संसद में विरोधी पक्षके संसद सदस्यों - अलबर्ट कार्टराइट, ढमंड चैपलिन - और अन्य लोगोंने गांधीजीको इसके उत्तर भेजे थे। उन्होंने इस बात से सहमति प्रकट की थी कि यदि नाबालिगों नाम “पहलेसे उनके पिताओंके प्रमाणपत्रों में दर्ज हों" तो उनके अधिकार अपने-आप सुरक्षित रहेंगे और १६ वर्षेके होनेपर उनको पंजीयन करानेका अधिकार रहेगा । रिचने उनके उत्तर जनवरी ९, १९११ को उपनिवेश-कार्यालयको भेज दिये थे । २. देखिए पिछला शीर्षक ।