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पत्र: प्रिटोरियाके जेल-निदेशकको

और मानपत्र भी नहीं दे सकते । राजभक्ति प्रकट करनेका कार्य पत्र लिखकर निपटाया जा सकता है । सौ० रम्भाबाई सोढाको जेल हो जाये तो हमें जेल भरनेके लिए निकल पड़ना चाहिए। और यदि बने तो दूकानें बन्द करके, सभा करके और प्रस्ताव पास करके इस अन्यायके खिलाफ अपनी नाराजी प्रकट करनी चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २६-११-१९१०

३२५. पत्र : प्रिटोरिया के जेल-निदेशकको

[ जोहानिसबर्ग ]
नवम्बर १९, १९१०

मेरा संघ यह जानकर बड़ा चिन्तित हो उठा है कि डीपक्लूफ जेलमें बन्द भारतीय सत्याग्रही कैदियोंके साथ निरन्तर होनेवाले अनुचित व्यवहारके कारण, कई भारतीय कैदियोंको उसका विरोध करने और जोहानिसबर्ग जेलमें अपना तबादला करानेके लिए अनशनका तरीका अपनाना जरूरी जान पड़ा है; कुछ कारणोंसे उनका यह खयाल है कि जोहानिसबर्ग जेलमें गवर्नरकी ज्यादा सीधी देखरेख होनेसे उनके साथ बेहतर सलूक होने लगेगा। मुझे मालूम हुआ है कि सर्वश्री हरिलाल गांधी और आर० एन० सोढाका तो जोहानिसबर्ग जेलमें तबादला हो भी चुका है। मुझे यह भी पता चला है कि श्री एस० बी० मेढने अपने तबादलेके लिए अर्जी दी है और पिछले छः दिनोंसे वे अनशन कर रहे हैं। मामलेमें देरकी जरा भी गुंजाइश नहीं है; अतः यदि आप इसकी ओर तत्काल ध्यान दें तो मैं आपका बड़ा आभार मानूंगा । आपको यह बतानेकी जरूरत नहीं है कि यदि हालत, जैसी बताई जाती है, वैसी ही बनी रही तो कैदियोंके स्वास्थ्यपर इसका क्या गम्भीर परिणाम होगा और उसका भारतीय समाजके लोगोंपर कैसा प्रभाव पड़ेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपनियन, ३-१२-१९१०

१. इस पत्रका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और इसे ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षके हस्ताक्षरसे भेजा गया था । २. इस पत्रके उत्तर में जेल-निदेशकने २१-११-१९१० को लिखा कि पत्रमें उल्लिखित डीपक्लूफ जेलमें भारतीय सत्याग्रहियोंके साथ होनेवाले 'अनुचित बर्ताव' के सम्बन्धमें कुछ और जानकारी भेजिए ।