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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नींबू ले। मैं उसे पत्र लिख रहा हूँ । [ शायद ] वह गुजराती पढ़ लेता है। यदि नहीं, तो उसे पढ़कर सुना देना। उसका घाव बहुत शीघ्रतासे भरा, तभी मेरे मनमें शंका हुई थी कि यह सुधार तो विलक्षण है ।

श्री पोलक कल केपके लिए रवाना होंगे; वहाँसे वे फीनिक्स पहुँचेंगे, चन्दा उगाहनेके लिए भी निकलेंगे। पुरुषोत्तमदासके बारेमें विचार करनेपर ऐसा लगता है कि उसके लिए [ सत्याग्रह ] फंडमें से कुछ न निकाला जाये । अनीको जितनेकी जरूरत हो उतना उसे लेने दिया जाये और जो कुछ ले सो फिलहाल मेरे नाम डाल दिया जाये । तुम अनीसे मालूम करना कि उसे कितना चाहिए। अब जब कि उसके आधे बच्चे टोंगाटमें हैं तब खर्च कम होना चाहिए। फिर भी, जितना वह माँगे उतना उसे दे दिया करो । वीरजीके हाल-चाल लिखना । चूँकि उनके विषयमें मैं श्री वेस्टको लिख चुका हूँ इसलिए यहाँ नहीं लिख रहा हूँ । इस्माइल दावजी मियाँको लिखना कि इस समय पाठशालाकी दशा गड़बड़ है । उसकी देखभाल पुरुषोत्तमदास कर रहे थे, वे जेल चले गये हैं । फिर भी वे अपने पुत्रको भेजें तो हम उसकी सार-सँभाल करनेको तैयार हैं। अलबत्ता, उसके लिए उन्हें २ पौंड प्रति मास देना पड़ेगा । इसमें उसके खाने, रहने और पढ़ाईका खर्च आ जायेगा। पढ़ाईमें खेती, प्रेसका काम, तथा अंग्रेजी, गुजराती और गणित सिखाये जायेंगे। यह सब लिखनेपर भी यदि वे अपने पुत्रको भेजें तो उसे तुम अपने साथ रखना ।

श्री डोक लौट आये हैं। श्री वेस्टको कहना कि वे उनका स्वागत करते हुए उन्हें एक पत्र लिख दें। मैं अपने पत्र में वेस्टको यह लिखना भूल गया था।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें लिखित मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू ४९४५) से । सौजन्य : राधाबेन चौधरी ।

३३३. मगनलाल गांधीको लिखे पत्रका अंश

[ नवम्बर ३०, १९१०के बाद ]

...लेते हो सो ठीक करते हो . . . उस ओर अपनी प्रबल वृत्ति रखना; जिन कारणोंको तुम उलझनमें डालनेवाले बतलाते हो, उनमें कुछ नहीं है। तुम्हारी जमीन तुम्हारी ही रहेगी। तुम उसे आबाद कर सकोगे। फिलहाल तो सबकी रसोई १. उपलब्ध नहीं है । २. पत्र उपलब्ध नहीं है । ३. इस पत्रके प्रारम्भके छः 98 प्राप्य नहीं हैं । मजमूनसे ऐसा प्रतीत होता है कि यह मगनलाल गांधीके नाम लिखा गया था। ४. पत्रमें नीचे 'पुनश्च' में करामतके हवालेसे प्रकट है कि यह "पत्रः मगनलाल गांधीको", नवम्बर ३०, १९१० के पश्चात् लिखा गया था ।