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पत्र : जी० ए० नटेसनको

लेकिन लक्षण कुछ इसी तरहके दिखाई पड़ रहे हैं कि अगले वर्षके प्रारंभिक चरण में संघर्ष कदाचित् समाप्त हो जायेगा। इस बार लगता है कि समाजके नेताओंसे कोई परामर्श नहीं किया जायेगा। जो भी हो, बात बिलकुल साफ है और संघर्ष तो माँगें स्वीकृत होनेपर ही समाप्त हो सकेगा ।

श्री रिच यहाँ कुछ दिन ठहरनेके बाद लन्दन चले गये हैं। श्री पोलक केपसे सम्बन्धित अपीलकी आखिरी तैयारियोंकी देखभालके लिए केप चले गये हैं ।

मैसूर, बीकानेर और निजामसे आपने चन्दा प्राप्त किया, वह आपकी बड़ी सफलता रही।

आपने 'इंडियन ओपिनियन' में श्रीमती सोढाके मुकदमेके बारेमें पढ़ा होगा । वह अभी फर्द जुर्म लगाकर अदालतमें दायर नहीं किया गया है। बहुत मुमकिन है कि कभी दायर ही न किया जाये। यदि किया गया तो वे जरूर जेल जायेंगी और शायद उनकी कई बहिनें भी उनका अनुसरण करें ।

नाबालिग बच्चोंका मामला भी अभी तय नहीं हुआ है । मैं आपका और अधिक समय नहीं लेना चाहता और अपनी रामकहानी यहाँ बन्द करता हूँ ।

यह लिखते समय सर्वश्री थम्बी नायडू और गोपाल नायडू मेरे पास बैठे हैं । मेरे साथ वे भी आपको सादर अभिवादन भेजते हैं और गरीब निवासितोंको दी गई आपकी सराहनीय सहायताके लिए फिर धन्यवाद देते हैं ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ पुनश्च : ]

यहाँ मुझे इसका उल्लेख भी अवश्य करना चाहिए कि आपके भेजे हुए सुन्दर फोटोग्राफ और 'हरिश्चन्द्र' की प्रतियोंके लिए सत्याग्रही आपके बड़े आभारी हैं। आप जानते ही होंगे कि ये दोनों चीजें श्री रुस्तमजीके घरपर सार्वजनिक रूपसे भेंट की गई थीं । आपने मेरे लिए अपना एक चित्र और कई लोगोंके साथ अपना फोटोग्राफ और साथमें 'हरिश्चन्द्र' की एक प्रति भेजी । उसके लिए अनेक धन्यवाद । 'हरिश्चन्द्र' की प्रतिकी भेंट तो बड़ी ही उपयुक्त रही ।

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (जी० एन० २२२३) से । १. निर्वासितोंके मुकदमेके सिलसिले में । २. नटेसनने बीकानेरके महाराजासे १,०००), मैसूरके महाराजासे २,०००) और निजाम हैदराबादसे २,५००) रुपये की रकमें प्राप्त की थीं।