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पत्र : मगनलाल गांधीको

लोग उसका गलत अर्थ न समझ लें अतः मैंने वह विचार छोड़ दिया। यदि इसके विषयमें कोई बात चलाये तो उसकी जिम्मेदारी मुझपर डालना और कहना कि मैंने उनपर टिप्पणी न देना ही मुनासिब समझा है ।

बाजारमें मिलनेवाली दवाइयोंकी पुस्तक यहाँ मिल गई है ।

कुमारस्वामीकी पुस्तकको मैंने पोलककी पुस्तकोंमें जरूर देखा था, उसपर सफेद जिल्द है ।

अगर दादा सेठ' अपने सब विज्ञापन छपवाना बन्द करते हैं तो कर दें; हम उसमें क्या कर सकते हैं? वे खुशीसे ऐसा करें। हम विज्ञापन - मात्रसे छुटकारा पा सकें तो मुझे अधिक अच्छा लगेगा। उन्हें न लिखना ही मुझे ठीक लगता है । उमर सेठसे जब मुलाकात होगी तब बात चलाऊँगा । अगर दादा सेठ मानें ही नहीं तो विज्ञापन छोड़ देना ठीक मालूम होता है ।

तुम मुझे निश्चित रूपसे सूचित करोगे तभी मैं गोरा सेठको लिखूँगा । अगर वे भी विज्ञापन बन्द करना चाहते हों तो उन्हें भी ऐसा करने दिया जाये ।

२५,००० रु० की प्रतिक्रियाके विषयमें तुम्हारा लिखना ठीक है । अभी लोगों में इस विषयकी तालीमकी बहुत कमी है। इसका उपाय यही है कि हमारी वृत्ति सदा निर्मल रहे। इस बीच हमें चाहिए कि हम सहनशीलतासे काम लें। अल्-इस्लामके सामानमें से कुछ भी लेना मुझे तो बिलकुल नापसन्द है । परन्तु श्री वेस्टकी इच्छा हुई थी। यह सोचकर कि ऐसे मामलोंमें मेरी मनोवृत्ति तुम सबकी मनोवृत्तिसे भिन्न है और संघर्षके दौरान कोई बड़ा फेरफार नहीं करना है, मैंने मन मारकर उसमें से कुछ आवश्यक वस्तुएँ लेनेकी स्वीकृति दे दी थी । परन्तु यदि हमें उसमें एक भी वस्तु हमारे कामकी न मिले तो मुझे तो खुशी ही होगी ।

मुझे लगता है कि मैं तुमको लिख चुका हूँ कि तुमने अगर अपनी पुत्रीको चेचकका टीका न लगवाया हो तो फिलहाल उसे स्थगित ही रखना। उसके बारेमें हम बादमें विचार करेंगे ।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजी स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ४९४८) से ।

सौजन्य : राधावेन चौधरी ] | १. दादा उस्मान; नेशल भारतीय कांग्रेसके अवैतनिक संयुक्त मन्त्री । २. उमर हाजी आमद झवेरी; नेटालके एक प्रमुख भारतीय । देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ४७४-७५ । ३. इस्माइल गोरा । ४. सत्याग्रह संघर्षके सहायतार्थ श्री रतन टाटासे प्राप्त दान | देखिए " टाटा और सत्याग्रही ", पृष्ठ ४१३-१५ ।