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३४३. पत्र : मगनलाल गांधीको

टॉल्स्टॉय फार्म
अगहन सुदी १५ [ दिसम्बर १६, १९१० ]

चि० मगनलाल,

तुमने डायरीके लिए जो कुछ भेजा है वह ठीक है; मैं उसमें कोई परिवर्तन न करूँगा । केवल इतना ही लिखना कि रम्भाबाई गिरफ्तार कर ली गई हैं। परिणाम बुधवारको मालूम होगा। यह भी लिखना कि उनकी गिरफ्तारी के बाद अन्य स्त्रियोंने भी जेल जानेका निश्चय किया है ।

लड़केके मुकदमेके बारेमें जो फैसला सुनाया गया है, केवल उतना ही छापना है । एक और एकड़के बारेमें में लिख ही चुका हूँ । श्री वेस्टसे बातचीत करके ले लेना ।

[ गुजरातीसे ]

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें लिखित मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू ० ४९४९) से । सौजन्य : राधाबेन चौधरी ।

३४४. श्री टाटा और सत्याग्रही

श्री रतन टाटाने सत्याग्रह-संघर्ष के लिए दूसरी बार २५,००० रुपयोंकी रकम देकर दिखा दिया है कि हमारे प्रति उनकी बहुत गहरी सहानुभूति है और यह कि वे संघर्षके महत्त्वको भली प्रकार समझते हैं। श्री टाटासे प्राप्त हुई अन्य रकमको मिलाकर भारत में कुल सवा लाख रुपये एकत्रित हुए हैं। इस धन-राशिका द्विपंचमांश अकेले श्री टाटाने दिया है । यह कोई मामूली दान नहीं है ।

जैसी उनकी उदारता है, वैसा ही उत्साहवर्धक उनका पत्र है। श्री टाटा भली- भाँति जानते हैं कि यह संघर्ष स्वार्थमूलक नहीं है, बल्कि समूचे भारतकी प्रतिष्ठाकी १. पत्र उल्लिखित रम्भाबाई सोढाके मुकदमे की सुनवाई बुधवार, २१ दिसम्बर १९१० को होनेवाली थी । स्पष्ट है कि यह पत्र १९१० में लिखा गया। उस वर्ष अगहनकी पूर्णिमा, १६ दिसम्बरको पड़ी थी । २. फीनिक्स आश्रमका प्रत्येक सदस्य खेतीके लिए दो एकड़ जमीन ले सकता था । मालूम होता हैं कि मगनलाल अपने और अपने भाई छगनलालके बीच एक एकड़ जमीन और चाहते थे । यह पत्र उपलब्ध नहीं है ।