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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मजिस्ट्रेट द्वारा प्रश्न किये जानेपर उन्होंने कहा : लड़ाईके पहले मुझे पंजीयन पत्र कोमाटीपूर्टमें दिया गया था । बादवाले कानूनके अन्तर्गत मैंने पंजीयन नहीं करवाया क्योंकि मेरी अन्तरात्मा उसके लिए राजी नहीं थी ।

श्री गांधीने पुनः गवाही देते हुए कहा कि लगभग दो माह हुए जब मैं नेटालमें था, श्रीमती सोढा भी वहाँ थीं। मुझसे सलाह-मशविरा करनेके पश्चात् और केवल मेरी ही जिम्मेवारीपर अभियुक्ता ट्रान्सवाल आई थीं। मैंने प्रवासी अधिकारीको तार' द्वारा सूचित किया था कि फलाँ तारीखको अभियुक्ता अपने नाबालिग बच्चोंके साथ प्रान्त में प्रवेश कर रही है। मुझे इसका उत्तर नहीं मिला और अभियुक्ता व उसके बच्चे मेरे साथ जोहानिसबर्गके लिए रवाना हो गये । निषिद्ध प्रवासीके रूपमें वह सीमापर गिरफ्तार कर ली गई ।

जिरहके दौरान उन्होंने कहा : मेरा खयाल है कि श्री सोढाका असली घर ट्रान्सवालमें है । ट्रान्सवाल आते वक्त उन्होंने अपनी स्त्रीको नेटालमें छोड़ दिया था । अभियुक्ता ट्रान्सवाल तब आई थीं जब उनके पतिको सजा हो गई। पतिने अपनी स्त्रीके लिए नेटालमें आरास्ता मकान छोड़ा था, किन्तु दुर्भाग्यवश वह मकान बहुत दिनों तक उस हालत में न रह सका ।

श्री क्रेमर : मैं आपसे एक साफ और सादा सवाल पूछता हूँ। क्या उसे यहाँ एशियाई कानूनके खिलाफ आन्दोलन करनेकी नियतसे नहीं लाया गया था ?

गांधी : बिलकुल गलत है।

गवाह : वह यहाँ क्यों लाई गई ?

महज इसलिए कि सत्याग्रहियोंके कुटुम्बियोंका पालन सार्वजनिक चन्देकी रकमसे किया जाना जरूरी था और ट्रान्सवालमें श्रीमती सोढाका घर खर्च चलाना तथा उनके परिवारकी देखभाल करना सुविधाजनक था ।

उसका खर्च चलाना किसके लिए सुविधाजनक था ?

उनके लिए जो सत्याग्रहियोंके परिवारोंकी देखभाल कर रहे हैं।

ट्रान्सवालमें ?

जी हाँ, ट्रान्सवालमें ।

तो क्या सोढा यहाँ सत्याग्रहीके रूपमें आये थे ?

जी हाँ, वे सत्याग्रहीकी हैसियतसे प्रविष्ट हुए थे। वे यहाँ निःसन्देह अपने स्वत्वोंकी जाँच करनेके लिए आये थे ।

और बादको, इस गरजसे कि सत्याग्रही लोग सोढाकी स्त्रीको अधिक अच्छी तरह रख सकें, आपने उसको यहाँ बुला लिया ।

जी हाँ ।

श्री गांधीने कहा कि अभियुक्ताको नेटालमें रखना असम्भव न था परन्तु उनके स्वास्थ्यके हितमें तथा उनके सबसे छोटे बीमार बच्चेकी खातिर यह बहुत असुविधाजनक १. देखिए "तार : मुख्य प्रवासी अधिकारीको", पृष्ठ ३७३ ।