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रम्भाबाई आर० सोढाका मुकदमा

होता । वहाँ [ नेटालमें ] श्रीमती सोढाके रहनेका स्थान निर्जन में था और उनकी रक्षा सबसे अच्छे ढंगसे टॉल्स्टॉय फार्ममें ही सम्भव थी ।

न्यायाधीशके प्रश्नोंके उत्तरमें श्री गांधीने कहा कि मैं यह बात साफ तौरपर कह देना चाहता हूँ कि श्रीमती सोढा यहाँ जिसे एशियाई आन्दोलनका नाम दिया गया है उसे बल पहुँचाने के उद्देश्यसे कदापि नहीं लाई गई । श्रीमती सोढाके प्रवेशमें देशके कानूनकी अवज्ञा करने का कोई भी इरादा न था; प्रत्युत अधिकारियोंको ऐसी बातों में भी सन्तुष्ट करनेका भरसक प्रयत्न किया गया जिनके सम्बन्धमें मेरा खयाल था कि अधिकारीगण कानूनकी दृष्टिसे भूल कर रहे हैं ।

मजिस्ट्रेटके प्रश्नोंके उत्तरमें श्री गांधीने आगे कहा कि अगर सत्याग्रहियोंके आश्रितोंको दी गई सहायता ही पारिश्रमिक या वेतन न मान लिया जाय, तो किसी भी सत्याग्रहीको जेल जानेके एवजमें वेतन या पारिश्रमिकके रूपमें एक कौड़ी भी नहीं दी गई है।

मजिस्ट्रेट : नहीं, मेरा मतलब वह हरगिज नहीं है; सत्याग्रही जेलसे रिहा होनेके पश्चात् क्या करते हैं ?

श्री गांधी : जो अपनी इच्छा प्रकट करते हैं उन्हें टॉल्स्टॉय फार्ममें ले जाया जाता है और वहाँ उनके निर्वाहकी व्यवस्था कर दी जाती है ।

मजिस्ट्रेट : क्या उन्हें कुछ वेतन नहीं दिया जाता ?

श्री गांधी : एक छदाम भी नहीं ।

श्री गांधी इसके बाद अपनी कुर्सीपर जा बैठे।

श्री क्रेमरने न्यायाधीशको सम्बोधित करते हुए कहा : केवल एक ही प्रश्न है - वह यह कि अभियुक्ताको किसी यूरोपीय भाषाका ज्ञान है या नहीं। यह साबित किया जा चुका है कि उसे ज्ञान नहीं है । यह दुःखकी बात है कि वह महिला इजलासमें पेश है; परन्तु उसकी एशियाई पैदाइशसे मुकदमेका कोई भी सम्बन्ध नहीं है ।

श्री गांधीने अदालतको सम्बोधित करते हुए सौजन्यपूर्ण शब्दोंमें मजिस्ट्रेट और सरकारी वकीलको उनकी शिष्टताके लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यदि मुकदमेका दारमदार शैक्षणिक परीक्षापर ही समाप्त होता है तो सरकार अभियुक्ताको सजा दिलाने में अवश्य सफल होगी। परन्तु मेरा नम्र निवेदन है कि अधिनियमके अन्य खण्डोंके अनुसार श्रीमती सोढाका बचाव किया जा सकता है। वह दोषी नहीं है; क्योंकि वह एक ऐसे व्यक्तिकी पत्नी है जो निषिद्ध प्रवासी नहीं हैं । श्री सोढा निषिद्ध प्रवासी इसलिए नहीं हैं कि गवाहीके अनुसार प्रवेश होनेके अवसरपर वे फोक्सरस्टमें शैक्षणिक परीक्षा पास कर चुके थे। इसके अतिरिक्त श्री सोढा लड़ाईसे पहले ट्रान्स- वालके निवासी थे । इसलिए एशियाई अधिनियम के अन्तर्गत उन्हें प्रवेशका अधिकार है और वे निषिद्ध प्रवासी नहीं हैं। श्री सोढाकी सजासे मेरी दलीलपर कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि उनको सजा केवल इस कारण हुई थी कि उन्होंने अपना पंजीयन प्रमाणपत्र नहीं दिखाया था । इसके आधारपर वे किसी भी प्रकार निषिद्ध प्रवासी नहीं कहे जा सकते ।