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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ऐसी चर्चा चल रही है कि संघर्षका अन्त इस महीने में नहीं, फरवरी हो सकेगा। देखें, क्या होता है। अभी गिरफ्तारियाँ नहीं हो रही हैं; इसीलिए जान पड़ता है, हरिलाल बाहर ही रहेगा। मैं जानता हूँ कि जोहानिसबर्ग जेलमें उसकी तबीयत अच्छी रही ।

पुरुषोत्तमदास भी जेलसे छूटने के बाद फिलहाल तो यहीं है। रामीबाईको' चुम्मा | छबल भाभीको' दण्डवत् । मैं बलीके' पत्रकी राह देखूंगा। कुमी तो लिखती नहीं है, इसलिए उससे क्या आशा ?

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५२८) की फोटो - नकलसे ।

३५४. पत्र : नारणदास गांधीको

टॉल्स्टॉय फार्म
पौष सुदी १०, [ जनवरी १०, १९११]

चि० नारणदास,

तुम्हारा पत्र मिला । तुम इस बातको सूत्र समझकर कंठस्थ कर लो कि एक भी सत्याग्रही बचा तो विजय मिलेगी। इस संघर्षमें कई जीतें तो मिल ही चुकी हैं। लेकिन, हम मूर्तिपूजक ठहरे। जीत हुई, यह बात सभी लोग तब मानेंगे जब कानून रद हो जाये और रंग-भेद दूर हो जाये । नहीं तो, वैसे ही जीत तो हो चुकी है।

बुनाईकी बाबत मैंने चि० मगनलालके पत्रमें तुम्हारे विचार पढ़े । वे ठीक ही हैं । फिलहाल एकदम तो जरूरत इस बातकी है कि हर समझदार आदमी यह काम सीख ले । मेरी मान्यता है कि मजदूर रखकर काम कराने आदिकी झंझटमें पड़नेसे कोई लाभ नहीं है। इसलिए तुमने जो कहा कि उस [ उलझन ] में नहीं पड़ेंगे; सो ठीक ही है। जरूरत इतनी ही है कि लोग सीखकर कपड़े बुन सकें और उन्हें खरीदनेके लिए सम्पन्न व्यक्ति मिल सकें । वे सम्पन्न व्यक्ति उसपर नफा न कमायें; नुकसान उठानेकी हिम्मत करें। इतना हो जाये तो मेरा खयाल है कि बुनाईका काम करनेवाले हजारों लोग तैयार हो जायेंगे ।

फीनिक्स के विषय में तुम जो कुछ कहते हो वह कुल मिलाकर ठीक है । किन्तु दूरसे तुम्हारे मनपर जो छाप पड़ी है, पाससे भी वही पड़ेगी, ऐसा मत सोचना। इतना निश्चित है कि आजकी परिस्थितिमें फीनिक्स उत्तम स्थान है । १. चंचलबेनकी कन्या । २. चंचलबेनकी माता । ३ और ४. चंचलबेनकी बहनें । ५. लिभंग क्विन अपनी भारत यात्रासे जनवरी १९११ के प्रथम सप्ताहमें साऊथ आफ्रिका लौटे थे ।