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३६७. नया प्रवासी विधेयक

जोहानिसबर्ग
बुधवार, मार्च १, १९११

चिर अपेक्षित प्रवासी विधेयक अब प्राप्त हो गया है । यह अत्यन्त जटिल है और इसका दायरा व्यापक है। मुझे इसके जो अर्थ समझमें आते हैं, मैं उन्हें ही यहाँ दे रहा हूँ :

(१) सन् १९०७ का कानून २ एक वातके अलावा --अर्थात् जहां तक उससे नाबालिगों के अधिकारोंकी रक्षा होती है -- अन्य सभी बातोंमें रद कर दिया जायेगा ।
(२) १९०८ का कानून ३६ रद नहीं किया जायेगा ।
(३) हालांकि यह साफ नहीं है, पर ऐसा लगता है कि जो लोग शैक्षणिक परीक्षा पास कर लेंगे, वे ट्रान्सवालमें प्रवेश कर सकेंगे, और उन्हें पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा। (यदि ऐसा ही है तो सत्याग्रह समाप्त हो जायेगा । )
(४) अधिवासी एशियाइयोंकी पत्नियों और बच्चोंको संरक्षण नहीं प्रदान किया गया है, ऐसा लगता है ।
(५) नेटाल और केपमें एशियाइयोंको अधिवासका प्रमाणपत्र देना या न देना अधिकारियोंकी मर्जीपर निर्भर करेगा ।
(६) शैक्षणिक परीक्षा इतनी कठोर होगी कि, सम्भव है, एक भी भारतीय संघमें प्रवेश करनेकी अनुमति न पा सके ।
(७) किसी अधिकारी द्वारा अनुचित रूपसे निषिद्ध ठहराये गये लोगोंको अपने बचावकी कोई सुविधा शायद नहीं दी गई है।
[ अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-३-१९११

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