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पत्र : आर० ग्रेगरोवस्कीको

मैंने इसका अर्थ इस प्रकार समझा है :

(१) चूँकि सभी कानूनोंसे इस विधेयककी व्यवस्थाओंके प्रतिकूल पड़नेवाली बातें हटा दी जायेंगी, इसलिए कोई भी शिक्षित एशियाई, सम्बन्धित अधिकारी द्वारा निर्धारित शैक्षणिक कसौटी पर खरा उतरनेपर, ट्रान्सवालमें प्रवासी होनेके योग्य माना जायेगा, और उसे १९०८ के पंजीयन कानून ३६ के अन्तर्गत पंजीयन कराने की कोई आवश्यकता नहीं होगी । (देखिए खण्ड १ और ४) ।

(२) पीड़ित पक्षको यह अधिकार नहीं है कि वह शैक्षणिक कसौटी लागू करनेवाले अधिकारीके निर्णयको किसी न्यायालयके समक्ष विचारार्थ ले जाये; भले ही निर्धारित कसौटी हास्यास्पद रूपसे सख्त हो । (देखिए खण्ड ४) ।

(३) शैक्षणिक कसौटीके अन्तर्गत प्रवेश पानेवाला प्रत्येक एशियाई प्रवासी ऑरेंज फ्री स्टेटमें भी, वहाँके निषेधक एशियाई अध्यादेशके बावजूद, वैध प्रवासी माना जायेगा । (देखिए खण्ड १ ) ।

(४) ट्रान्सवालका कोई भी एशियाई, यदि उसे नेटाल या केपमें अधिवासके अधिकार प्राप्त न रहे हों तो, खण्ड ४ के अन्तर्गत सख्त शैक्षणिक कसौटीके कारण वहाँ प्रवेश नहीं पा सकेगा ।

(५) एक बार इस कानूनके अन्तर्गत शैक्षणिक परीक्षा पास कर लेने के बाद किसी भी एशियाईको विभिन्न प्रान्तोंमें रोका-टोका नहीं जा सकता । उसे इतना बता-भर देना होगा कि उसकी परीक्षा ली जा चुकी है।

(६) ऐसा नहीं लगता कि वर्तमान अधिवासियोंको अपने-अपने प्रान्तोंमें किसी प्रकारका संरक्षण मिला है या वे शैक्षणिक धाराके प्रयोगसे मुक्त हैं। उनकी कानूनी स्थिति क्या है ?

(७) इस विधेयक द्वारा अधिवासी एशियाइयों या शैक्षणिक कसौटीके अन्तर्गत भविष्य में प्रवेश पानेवाले एशियाइयोंकी पत्नियों और नाबालिग बच्चोंको भी कोई विशेष संरक्षण नहीं दिया गया। उनका दर्जा क्या होगा ? और यदि वे सामान्य कानून (कॉमन लॉ ) के अन्तर्गत संरक्षित हैं, तो क्या इसका अर्थ यह है कि किसी अधिवासी एशियाईका २१ वर्षसे कम अवस्थाका पुत्र प्रवेशके अधिकारका दावा कर सकता है ?

(८) सन् १९०७ के कानून २ की मंसूखी के बाद विधेयककी पहली अनुसूची की आरक्षण धाराके अन्तर्गत ट्रान्सवालमें पंजीकृत एशियाइयोंके १६ वर्षसे कम आयुके नाबालिग लड़के ट्रान्सवालमें सदैव प्रवेश कर सकेंगे; और १६ वर्षके हो जानेपर वे 'छोटाभाई फैसले " के आधारपर अधिकारपूर्वक पंजीयनकी माँग कर सकते हैं ।

(९) लगता है कि खण्ड २५ के उपखण्ड २ के अन्तर्गत मन्त्रीको यह अधिकार है कि वह दक्षिण आफ्रिका या अपने अधिवासका प्रान्त छोड़नेवाले प्रत्येक एशियाईको अधिवास प्रमाणपत्र देनेसे इनकार करके उसे निषिद्ध प्रवासी बना दे ।