पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/४९७

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३७९. पत्र : ए० एच० वेस्टको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ३, १९११

प्रिय वेस्ट,

यह पत्र सोमवारको आपके हाथमें होगा । मेरा खयाल है, पोलक शायद डर्बनमें होंगे। रिचके बारेमें मुझे जो आवश्यक लगा उसे मैंने संक्षेपमें लिख दिया है । " लन्दनसे प्राप्त अन्य सब पत्र आदि भेज रहा हूँ । पोलकके वहाँ पहुँचनेपर आप उन्हें यह सामग्री दिखा दें। मैंने जो कुछ तैयार किया है, उसके आगे वे उनका जो उपयोग चाहें, कर सकते हैं। फिलहाल तो मैं शहरमें ही रहूँगा, किन्तु यदि विधेयकके प्रथम खण्डकी प्रतिकूल व्याख्या की गई तो कदाचित् मुझे केप टाउन भी जाना पड़े। सब कुछ, मामला किस तरह आगे बढ़ता है, इसपर निर्भर करेगा । यदि विधेयक- विषयक सामग्रीके कारण पत्रमें स्थानाभाव अधिक हो तो मैं समझता हूँ कि छोटाभाईके मुकदमेके फैसलेका प्रकाशन स्थगित कर देना ही ठीक होगा । विधेयकके सामने उस फैसलेका महत्त्व नगण्य है। मैं आपके पास कलके 'स्टार' का अग्रलेख भी भेज रहा हूँ । इसे संक्षिप्त करके प्रकाशित किया जाना चाहिए। आपको परिवर्तनमें प्राप्त होनेवाले समाचारपत्रोंसे विधेयककी प्रेस विज्ञप्तियाँ मिल ही जायेंगी। यदि विधेयक विधानसभामें पेश ही न हो अथवा उसमें महत्त्वपूर्ण प्रतिकूल परिवर्तन हो जाये तो वैसी दशामें हम समाचारपत्रों में प्रकाशित उन विज्ञप्तियोंका उपयोग करना चाहेंगे ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२२५ ) की फोटो - नकलसे ।

१. श्री रिचको मानपत्र देनेके लिए लन्दनमें आयोजित सभाकी रिपोर्ट इंडियन ओपिनियनके मार्च ११, १८ और २५ के अंकोंमें प्रकाशित हुई थी । २. यह फैसला बादमें २२-४-१९११ और २९-४-१९११ के इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित हुआ था । ३. इसे ११-३-१९११ के इंडियन ओपिनियनमें उद्धृत किया गया था 1