पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/५०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



४५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खण्ड ७ कमसे कम ऐसी व्यवस्थाके एकदम प्रतिकूल है। इसलिए मेरा निवेदन है कि [ प्रवर] समितिमें विधेयकको इस प्रकार संशोधित कर दिया जाये कि यह मुद्दा बिल्कुल साफ हो जाये। मुझे विश्वास है कि जनरल स्मट्स मेरी इस बात से सहमत होंगे कि जहाँतक विधेयकके अर्थ और सरकारके इरादेका सम्बन्ध है, इस बार कुछ भी गृहीत अथवा अनिश्चित न छोड़ा जाये ।

वकीलकी इस रायसे एक और समस्या उत्पन्न होती है, जिसकी मैंने पहले कल्पना नहीं की थी । समस्या यह है कि पंजीकृत एशियाइयोंके जो नाबालिग बच्चे इस समय ट्रान्सवालमें नहीं हैं, उन्हें छोटाभाईके मुकदमेके फैसलेके' बावजूद किसी प्रकार संरक्षण नहीं दिया गया है। इस विधेयकसे अधिवासी एशियाइयोंकी पत्नियों और नाबालिग बच्चोंको सामान्यतः कानूनका संरक्षण भी नहीं मिलेगा। इसलिए मुझे आशा है कि विधेयकमें ये मुद्दे [ प्रवर ] समिति द्वारा पूर्ण रूपसे स्पष्ट कर दिये जायेंगे ।

इस पत्रमें मैंने जो प्रश्न उठाये हैं, उनके बारेमें सन्तोषजनक आश्वासन मिलनेपर मैं ट्रान्सवालके भारतीय समाजको सलाह दे सकूंगा कि वह सरकारको औपचारिक रूपसे अपनी स्वीकृति दे दे और तब सत्याग्रह स्वाभाविक रूपसे समाप्त हो जायेगा । हमने जिस आश्वासनकी प्रार्थना की है, यदि वह हमें दे दिया गया तो मैं यह आशा भी करता हूँ कि जो लोग इस समय जेलमें हैं वे रिहा कर दिये जायेंगे; और जो लोग अपनी आत्माकी आवाजपर सही या गलत, कष्ट सहन करते रहे हैं, दण्डित नहीं किये जायेंगे; बल्कि १९०८ के कानून ३६ के अन्तर्गत प्रत्येक सत्याग्रहीको मिलनेवाले अधिकारोंकी कद्र की जायेगी ।

आपका विश्वस्त,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२२७) की फोटो - नकलसे ।

३८६. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

जोहानिसबर्ग
मार्च ४, १९११

प्रिय श्री रिच,

आशा है कि इस पत्रके साथ ही आपको मेरा गत बृहस्पतिवारका लिफाफा' भी मिल जायेगा । उस लिफाफेको बन्द कर चुकनेके बाद मैंने 'स्टार' में देखा कि विधेयकका प्रथम वाचन तो किया जा चुका है। इसलिए मैंने शुक्रवारको जनरल स्मट्सके नाम निम्नलिखित तार भेजा :

कृपया सूचित करें क्या हालमें पेश प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकके खण्ड एकके अनुसार शैक्षणिक परीक्षा पास कर लेनेवाले एशियाई १९०८ के

१. देखिए " छोटाभाईंका मुकदमा", पृष्ठ ४३२ । २. देखिए "पत्र : गृहमन्त्रीके निजी सचिवको”, पृष्ठ ४८३-८४ । ३. देखिए. " पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको ” पृष्ठ ४४६-४८ ।