पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/५१०

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४६६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय बता दूं कि श्री डोक श्री मेरीमैनके साथ पत्र-व्यवहार कर रहे हैं। स्मट्स विधेयकका जो अर्थ लगाते हैं, उसे स्पष्ट करनेकी दृष्टिसे यदि वे विधेयकमें संशोधन करनेपर राजी न हों, तो वैसी दशामें क्या आप केप टाउनमें मेरी उपस्थितिकी कोई जरूरत समझते हैं? अगर आप जरूरत समझें, तो तार कर दें। जबतक नितान्त आवश्यक न हो, मैं यात्रा नहीं करना चाहता । पोर्ट एलिजाबेथ और किम्बलेंसे निवेदनपत्र भेजे जाने चाहिए या आपको अथवा लीगको उनकी ओरसे प्रतिवेदनका अधिकार मिलना चाहिए । क्या आपने श्री कोहेनको श्रीमती रिचके पास छोड़ दिया था ? आशा है, आप वहाँसे मॉडको जो भी आवश्यक समझें, लिखते रहेंगे। उसको लिखे पत्रको प्रतिलिपि संलग्न है । आपका हृदयसे, टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२३९) की फोटो-नकलसे । ३९३. तार : अब्दुल कादिरको सेवामें अब्दुल कादिर ग्रे स्ट्रीट डर्बन जोहानिसबर्ग मार्च ७, १९११ स्वीकार कुछ नहीं किया । कुछ स्वीकार करना मेरे अधिकारमें नहीं । नेटालकी मार्फत कड़ा विरोध करनेकी सलाह पहले ही दे चुका हूँ। 'मर्क्युरी' १. जान जैवियर मेरीमैन; देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २७२ । २. जान पड़ता है, इन जगहोंसे कोई प्रतिवेदन नहीं भेजा गया । तथापि, पोर्ट एलिजाबेथके ब्रिटिश भारतीय संघ और किम्बलेंके भारतीय राजनीतिक संघने केप टाउनमें मार्च १२, १९११ को होनेवाली ब्रिटिश भारतीयोंकी आम सभाको सन्देश भेजकर अपनी सहानुभूति और समर्थन प्रकट किया था । ३. ब्रिटिश इंडिया लीग; इस समय केप टाउनमें दो प्रतिद्वंदी संगठन थे : ब्रिटिश इंडिया लीग और साउथ आफ्रिकन ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन । गांधीजी और रिचके प्रयत्नोंसे ये दोनों संगठन मिल गये, और इस मिले-जुले संगठनका नाम 'केप ब्रिटिश इंडियन यूनियन' रखा गया । ४. देखिए “ पत्र: मॉड पोल्कको ”, पृष्ठ ४६३-६५ । ५. यह अब्दुल कादिरके द्वारा उसी दिन भेजे गये निम्न तारके उत्तर में भेजा था: "प्रवासी विधेयक सर्वनाशी कानून है । आश्चर्य हुआ कि आप आजके मर्क्युरीकी बात मानते हैं। यदि आप मानेंगे तो पूरे समाजको डुबो देंगे । नेटाल और केपके अधिकार छोड़कर आप छायाके पीछे भाग रहे हैं । समय रहते सावधान हो जायें । अन्तिम मंजिलपर दुबारा गलती न करें । उत्तर दें । " (एस० एन० ५२४०) । ६. डॉ० अब्दुल कादिर; देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २८० । ७. देखिए “तार : आदम गुलको ", पृष्ठ ४४८, “पत्र : डॉ० अब्दुल हमीद गुलको”, पृष्ठ ४४९ और “पत्रः एच० एस० एल० पोलकको ", पृष्ठ ४४९-५० । Gandhi Heritage Portal