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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विधेयकके कानून बननेके पहले हमारी आपत्तियोंपर विचार करनेका आग्रह किया जाये । गांधीजीकी लिखावट में संशोधन सहित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५२७९) की फोटो- नकलसे ।

४२२. पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ११, १९११

प्रिय रिच,

आपका तार और पत्र मिले। आपको भी कतिपय सदस्योंके पास भेजे गये तारकी प्रति मिल गई होगी। मैंने आपका आशय ठीकसे समझा नहीं, परन्तु आपके तारका यह अर्थ लगाया कि ट्रान्सवालके उन सदस्योंके पास, जिन्हें इस मामलेमें कुछ भी दिलचस्पी है, इस विधेयकपर संघकी ओरसे हमारे विचार भेजे जायें। नामोंमें आपको तीन ऐसे मिलेंगे जो ट्रान्सवालके नहीं हैं। मैंने सोचा था कि ये तीन सदस्य इस तारके विशेष रूपसे हकदार हैं। प्रार्थनापत्रमें भी हमारे विचार व्यक्त कर दिये गये हैं। मुझे आशा है कि उन्हें आप समाचारपत्रोंको भी भेज देंगे। 'डेली मेल' में केप टाउनका एक तार छपा है, जिसमें कहा गया है कि विधेयकके बारेमें साम्राज्य- सरकार और संघ-सरकारके बीच छपे पत्र-व्यवहारको जनरल स्मट्सने सदनकी मेजपर रख दिया है । आशा है, आप उसकी एक प्रति प्राप्त करके भेज देंगे ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी (एस० एन० ५२८०) प्रतिकी फोटो नकलसे ।

४२३. पत्र : मॉड पोलकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च १३, १९११

प्रिय मॉड,

शनिवारको तुम्हारे पास एक लम्बा तार* भेजा गया था । आशा है, तुमने उसे पूरी तरहसे समझ लिया होगा । तार भेजते समय मनमें बड़ी दुविधा रही । विधेयक प्रकाशित हो गया है और मुझे बड़ी आशा बँध गई है कि आवश्यक संशोधन

१. देखिए "तार : संसद सदस्योंको ", पृष्ठ ४८७ । २. अलेक्ज़ेंडर, टी० एल० श्रीनर और डब्ल्यू० पी० श्रीनर । ३. देखिए “ ट्रान्सवालका प्रार्थनापत्र : संघ विधान सभाको ", पृष्ठ ४८१-८२ । ४. देखिए “ तार : नटेसन, गोखले और द० आ० क्रि० भा० समितिको ", पृष्ठ ४८९-९० ।