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४३४. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च १६, १९११

प्रिय पोलक,

रिचसे प्राप्त कतरन भेज रहा हूँ। मुझे आशा है कि रिचको मानपत्र' दिये जानेका विवरण शीघ्र ही किसी अंकमें पूरा-पूरा छपेगा। अभी इस समय वह बड़ा प्रसंगानुकूल होगा । मैं अखिल भारतीय मुस्लिम लीगसे प्राप्त सामग्री संलग्न कर रहा हूँ ।" इसके पीछे विज्ञापनका जो भाव है, उसे मैं पसन्द नहीं करता । परन्तु लगता है, इसे हमें प्रकाशित करना पड़ेगा। नायडूने मेरे पास सुधारके लिए एक प्रार्थनापत्र भेजा है। यह ३ पौंडी करके बारेमें है और इसका मसविदा या तो स्वयं उन्होंने या अय्यरने तैयार किया है। आपने अपने एक पत्रमें अय्यरके बारेमें जो कुछ कहा था, उसके बावजूद मैं उनकी नेकनीयतीपर भरोसा नहीं करता । वे क्षणावेशी व्यक्ति हैं; अर्थात् आज वे एक बात लिखेंगे तो कल उसके ठीक विपरीत लिखेंगे। वे सर्वथा सिद्धान्तहीन आदमी हैं, और सार्वजनिक महत्त्व के किसी भी मामलेमें उनके दखल देनेसे मुझे बेचैनी होती है- - खासकर उस दशामें जब वे मेरा पक्ष लेते जान पड़ते हैं। वे मुझे सबसे अच्छे उस समय लगते हैं जब मुझपर इल्जाम लगाते हैं और खुलकर मेरा विरोध करते हैं; क्योंकि तब मैं जान जाता हूँ कि इस समय वे अपने किसी सार्वजनिक कार्य में मुझसे सहायता करनेके लिए नहीं कहेंगे। मुझे भय है कि अब वे अपने ब्राह्मण होने और श्री पी० के० नायडूकी अपेक्षा अंग्रेजीका अधिक ज्ञान रखनेके बलपर उन्हें चकमा दे रहे हैं। पी० के० नायडूको मैंने जो सलाह दी है, उसे आप अब और अच्छी तरह समझ सकेंगे। उनके नाम अपने पत्रकी प्रतिलिपि मैं आपके पास भेज रहा हूँ । मुझे उनके लिए दुःख होता है, क्योंकि मेरे लेखे वे चरित्रमें अय्यरकी अपेक्षा कई गुना अच्छे हैं। आश्रमके अधिकांश बच्चे और सत्याग्रही आज जोहानिसबर्ग में हैं। मैं उन्हें एक विशेष गाड़ीसे ले आया हूँ । यातायात प्रबन्धकने खास रियायती दरें लगाईं। छब्बीस आदमियों और बच्चोंके आने-जानेका किराया १ पौंड, १२ शिलिंग और २ पेंस पड़ा। यदि आप या रिचने मुझे जोहानिसबर्ग में नहीं रोका तो मेरा इरादा उनके साथ शनिवारको १ बजेकी गाड़ीसे वापस चले जानेका है । १. लन्दन स्थित दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके मन्त्री श्री रिचको यह मानपत्र लन्दनके क्राइटेरियन रेस्ट्रोंमें आयोजित एक समारोहमें १६-२-१९११ को भेंट किया गया था । वहाँकी कार्रवाईकी रिपोर्ट २५-३-१९११ के इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित हुई थी । २. यह उपलब्ध नहीं है। ३. पी० एस० अय्यर; डर्बनसे प्रकाशित होनेवाले आफ्रिकन क्रॉनिकलके सम्पादक । ४. यह उपलब्ध नहीं है ।