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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करना गलत है तो उसका स्थान लेनेवाले संघके प्रवासी कानूनमें भी इसे स्वीकार करना गलत होगा । मैं इस समय कार्यालय नहीं छोड़ना चाहता; नहीं तो मैं आपके पास आ जाता ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३०४) की फोटो नकलसे ।

४३६. तार : एल० डब्ल्यू० रिचको

जोहानिसबर्ग
मार्च १७, १९११

संविधान अधिनियम अध्याय तैंतीस ।

गांधी

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३०६) की फोटो नकलसे ।

४३७. तार : जनरल स्मट्सके निजी सचिवको

जोहानिसबर्ग
मार्च १७, १९११

अभी मालूम हुआ कि जनरल स्मट्स प्रवासी विधेयकमें संशोधन पेश करने- वाले हैं जिसके अनुसार भावी एशियाई प्रवासी १९०८ के कानून छत्तीससे बरी हो जायेंगे । किन्तु इसका यह अर्थ हुआ कि ऐसे प्रवासियोंपर फ्री स्टेटका एशियाई कानून लागू होगा ही । यदि ऐसा हुआ तो इससे संघके प्रवासी कानूनमें रंगभेद प्रविष्ट हो जायेगा जो विशेष तौरपर सुसंस्कृत भारतीयोंके लिए बेहद अपमानजनक होगा। इसलिए आशा है कि एशियाई प्रवासी समस्त पंजीयन कानूनोंसे बरी किये जायेंगे; जनरल स्मट्सने अपना यही इरादा मेरे नाम अपने एक तारमें व्यक्त किया था । नम्र निवेदन है कि सत्याग्रहियोंको सन्तुष्ट करनेके लिए संघ विधेयकमें रंगभेदका बिल- कुल न होना और पत्नियों तथा नाबालिग बच्चोंको पूर्ण संरक्षण देना,

१. यह रिचके उस तारके उत्तरमें भेजा गया था जिसमें उन्होंने लिखा था : इलेसिनके तारमें औरेंजिभाके पंजीयन कानूनसे शिक्षितों को बरी रखनेका आग्रह था । अब समझा, आपका अभिप्राय था निषेधक कानून बने रहनेपर भी शिक्षित प्रवासी फ्री स्टेटमें निषिद्ध नहीं होंगे । सम्बन्धित कानूनका सन्दर्भ तारसे भेजें 1" ( एस० एन० ५३०५ ) २. ४ मार्चका; देखिए पाद-टिप्पणी १, पृष्ठ ४५७ ।