पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/५५९

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४५२ तार : एल० डब्ल्यू० रिचको

जोहानिसबर्ग
[ मार्च २०, १९११]

सेवा में

रिच
८, क्लूफ स्ट्रीट

केप टाउन

स्मट्स अपने पत्र में कहते हैं कि उनके तारका मन्शा यह नहीं था कि ऑरेंज फ्री स्टेटके कानूनोंका अध्याय तैंतीस रद कर दिया जायेगा । पत्र में यह भी स्पष्ट नहीं है कि [ शिक्षित एशियाई ] प्रवासी पंजीयन कानूनसे सर्वथा बरी रहेंगे। अपने समर्थकोंको तुरन्त सुझाइये कि सत्याग्रहकी समाप्तिके लिए संघके पंजीयन कानूनोंसे पूर्ण विमुक्ति आवश्यक है। पत्नियों और नावालिग बच्चोंके बारेमें भी पत्रमें बिलकुल टालमटोल की गई है। उनका कहना है कि विभाग नहीं मानता कि ऐसी कोई कठिनाई है ।

६५२२

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३०० 'क' ) की फोटो नकलसे ।

४५३. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

मार्च, २०, १९११

प्रिय रिच,

जनरल स्मट्सके पत्र और अपने उत्तरकी प्रति संलग्न कर रहा हूँ । जान पड़ता है, हम किसी जबरदस्त संघर्षके बीच आ फंसे हैं। वे फ्री स्टेटवालोंका समर्थन नहीं खोना चाहते और साफ है, इसीलिए पीछे हटना चाहते हैं । पूरा पत्र हर तरहसे उनके अनुरूप ही है। इसे उन्होंने केवल अपना अभिप्राय छिपानेके उद्देश्यसे लिखा है । प्रथम अनुच्छेद मुझपर एक ऐसी इच्छाका आरोप करता है, जो मैंने कभी नहीं की । उनके दूसरे अनुच्छेदका उद्देश्य अपने इस इरादेको छिपाना है कि शिक्षित प्रवासी

१. जान पड़ता है, यह तार उसी दिन भेजा गया जिस दिन “ पत्र : ई० एफ० सी० लेनको ", (पृष्ठ ५१२-१४) और “तार : जनरल स्मथ्तके निजी सचिवको ", (पृष्ठ ५१२) भेजे गये थे 1 २. देखिए परिशिष्ट १० । ३. यह गांधीजीके पोस्ट बॉक्सका नम्बर था । ४. देखिए परिशिष्ट १० । ५. देखिए " पत्र : ई० एफ० सी० लेनको ", पृष्ठ ५१२-१४ ।