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भेंट : 'केप आस' के प्रतिनिधिको

प्रश्रय मिल सकता है। मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि सन्देहकी स्थिति में वैवाहिक और पैतृक सम्बन्ध- जैसे नाजुक प्रश्न केवल न्यायालयों द्वारा ही निर्णीत होने चाहिए, प्रशासकीय अधिकारी द्वारा नहीं; और न इस मामलेका निपटारा किसी विनियमपर ही छोड़ा जाना चाहिए ।

अधिवासके प्रश्नके बारेमें निवेदन है कि सर्वाधिक महत्त्वकी बात यह है कि इसकी एक दृष्टान्तयुक्त परिभाषा दी जानी चाहिए; जैसी कि नेटालके कानूनमें आई है । पहले उन्हें कटु अनुभव हो चुका है, इसलिए भारतीय समाजके लोग यहाँ इस मुद्देपर सबसे अधिक जोर दे रहे हैं ।

खण्ड २५के बारेमें लोगोंका इस बातपर बहुत जोर है कि जो अपने अधिवासका अधिकार सिद्ध कर दें, उन्हें प्रार्थनापत्र देनेपर स्थायी अधिवासी प्रमाणपत्र पानेका हक होना चाहिए ।

ये मुद्दे हैं जो निवासियोंके लिए बड़े महत्त्व के हैं और मुझे आशा है कि जनरल स्मट्स इनपर कृपापूर्वक विचार करेंगे ।

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३८५) की फोटो नकल और १-४-१९११ के 'इंडियन ओपिनियन' से ।

४७७. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

केप टाउन
मार्च २९, १९११

पोलकको तार दीजिए कि हॉस्केनकी अनुमति है पत्र-व्यवहार' प्रकाशित करें। आज कोई समाचार नहीं है ।

अंग्रेजी तार (एस० एन० ५३८२) की फोटो - नकलसे ।

४७८. भेंट : 'केप आर्गस ' के प्रतिनिधिको

[ केप टाउन
मार्च ३०, १९११ से पूर्व ]

लोगों में यह गलत धारणा फैली हुई है कि ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय नये प्रवासी प्रतिबन्धके विधेयककी धाराओंसे पूरी तरह सन्तुष्ट हैं ऐडवोकेट श्री गांधीने,

1 १. पत्र-व्यवहारके लिए, देखिए परिशिष्ट १२ । २. “ केप आर्गसको विशेष रूपसे " दी गई यह मुलाकात “ प्रवासी विधेयक- श्री गांधीकी शिका- - कुछ नये मुद्दे " शीर्षकसे प्रकाशित हुई थी । ३. यह भेंट ३० मार्चके स्टार में प्रकाशित हुई थी ।