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भेंट: 'केप आर्गस' के प्रतिनिधिको

'अधिवास' शब्द

फिर 'अधिवास' अत्यन्त पारिभाषिक (टेकनीकल) शब्द है। पिछला अनुभव कहता है कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचारसे बचनेके लिए जरूरी है कि इन शब्दोंका अर्थ निश्चित और साफ कर दिया जाये। नेटालमें तो ऐसा कानून है कि जो एशियाई तीन वर्ष वहाँ रह लेता है वह वहाँका निवासी होनेका प्रमाणपत्र पा सकता है। लोग यह भी चाहते हैं कि जो निवासी होनेके अधिकारी हैं वे अगर चाहें तो उन्हें इसका प्रमाणपत्र भी दे दिया जाना चाहिए, जिससे वे बिना किसी बाधाके सब जगह जा आ सकें और हर बार अपना अधिकार सिद्ध करनेके लिए उन्हें खर्च न उठाना पड़े। मुझे तो लगता है कि इनमें से बहुत-सी बातें सचमुच बड़ी आसानीसे ठीक की जा सकती हैं।

शैक्षणिक कसौटी

नेटाल और केप कालोनीके ब्रिटिश भारतीयोंके लिए बड़ा सवाल यह है कि नये विधेयक शैक्षणिक कसौटीको सख्त कर देनेके कारण एक और नई निर्योग्यता पैदा हो गई है। यहाँ बसे हुए भारतीयोंको अपनी मददके लिए कारकुनों, गुमाश्तों आदिकी जरूरत पड़ती हैं; वे यहाँ नहीं मिल सकते। अतः भारतसे ऐसे लोगोंके लिए जा सकनेका कोई प्रबन्ध कर देना भी निःसन्देह आवश्यक है। अबतक तो प्रवास-सम्बन्धी शर्तके अनुसार साधारण शिक्षा पाये हुए भारतीयोंको प्रवेश मिल जाया करता था। इसलिए अगर वर्तमान अधिकारोंकी रक्षा की जानी है तो जरूरी है कि यह सहूलियत आगे भी बनी रहे।

हममें से कुछ तो यह भी चाहते हैं कि अब संघ-राज्यमें एक प्रान्त से दूसरे प्रान्तमें जानेपर भी किसीको कोई रुकावट न रहे। परन्तु जो बहुत अल्प सन्तोषी हैं वे फिलहाल इतनेसे ही सन्तोष कर लेंगे कि प्रान्तके अन्दर अन्दर घूमने-घामनेकी पूरी स्वतन्त्रता मिल जाये। इस सम्बन्धमें हम सरकार की कठिनाईको समझ सकते हैं, परन्तु फिर भी यह एक अत्यन्त जरूरी शिकायत तो है ही।

[अंग्रेजीसे]

साबरमती संग्रहालय में सुरक्षित 'केप आर्गस' की कतरन (एस० एन० ५२१४) की फोटो नकल, और ८-४-१९११ के 'इंडियन ओपिनियन' से।