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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पढ़ेगा ।" इसलिए मैंने अपना काम जारी रखा। कई बार तो मुझे ऐसा लगा कि अब गया तब गया । वादमें डॉक्टरने मेरे शरीरकी परीक्षा की और कहा, “ कामके कारण तुम्हारी दोनों बगलोंमें थोड़ा दर्द जरूर है; यों यह कोई खास चीज नहीं है।" यह भी कहा कि फाजिल चर्बी छँट जानेपर मैं बिल्कुल चंगा हो जाऊँगा । मुझे अपना काम जारी रखना पड़ा; नतीजा यह हुआ कि मेरा स्वास्थ्य और ज्यादा बिगड़ गया । मैने फिरसे गवर्नरको अपनी व्यथा सुनाई और उसने एक बार फिर मेरी डोक्टरी परीक्षाका आदेश दिया । उसका परिणाम यह हुआ कि मुझे जो एक अतिरिक्त कम्बल मिला हुआ था उससे भी हाथ धोना पड़ा | डॉक्टरने इतना और कह दिया कि मुझे बिल्कुल ठीक होनेके लिए बस इतना ही करना है किं ज्यादा मेहनत से काम करूँ । करीब एक पखवारे तक यही चलता रहा । मेरी हालत दिन-ब-दिन गिरती गई, यहाँतक कि अन्तमें मुझे रातमें बेचैनी रहने लगी और मेरी नींद उड़ गई । साथी कैदी मेरी मालिश कर दिया करते और मेरे शरीरमें कुछ गरमी पहुँचानेको कोशिश करते । इसीलिए मैंने अस्पतालके अर्दली से कहा और उसने मुझे वह कम्बल लौटा दिया जो मुझसे ले लिया गया था । उसने मुझे कुछ गोलियाँ भी दीं। मुझे जो काम दिया गया गया था सो तो बदस्तूर चलता रहा। जेल आये एक पखवारेसे ऊपर हो चुका था कि गवर्नर आया और उसने मुझे अपनी खास टोपी उतार डालनेका आदेश दिया । मैंने उसको बताया कि मुझे टोपी पहननेकी विशेष अनुमति मिली हुई है और नेटालके न्यायालयों तक ने यही निर्णय दिया है । इसपर गवर्नरने कहा, “ पहलेका वह आदेश गलतीसे दे दिया गया था और निदेशकने अब मुझे लिखा है कि तुमको टोपी रखनेकी अनुमति नहीं दी जा सकती ।" इसलिए मुझे अपनी मर्जीक खिलाफ टोपी छोड़नी पड़ी । उससे मेरी धार्मिक भावनाको ठेस पहुँची। मुझे एक साधारण टोपी दी गईं जिसे वार्डर जरा-जरा-सी बातपर उतारनेके आदेश देते रहते थे । ढीपक्लुफ जेलके चिकित्सा अधिकारी, डिप्टी गवर्नर और अधिकांश वार्डर मुझे आम तौरपर बहुत परेशान किया करते। मैंने बार-बार अपनी बीमारीकी फरियाद भी की, लेकिन उसपर ध्यान नहीं दिया गया और कभी-कभी तो उसकी खिल्ली भी उड़ाई जाती थी । मेरी आँखोंपर इसका बहुत बुरा असर पड़ा और एक आँख तो अभी तक खराब चली आ रही है। मैंने अपनी आँखोंके बारेमें चिकित्सा अधिकारीसे शिकायत की। उसने कहा, " 'जेल से छूटने के बाद तुम्हें १०-२० पौंड खर्च करके आँखोंका आपरेशन करा लेना चाहिए।" मेरी तकलीफका हाल सुनकर चिकित्सा अधिकारी उसे अपमानजनक ढंगसे उड़ा दिया करता । डिप्टी गर्वनर मेरी शिकायतोंको लगभग बिल्कुल ही अनसुना कर देता था । केवल गवर्नर ही मेरे या यों कहिए कि सभी कैदियोंके मामलोंमें थोड़ी-बहुत दिलचस्पी लेते थे । मेरी सजा पूरी होनेमें जब केवल बीस दिन रह गये, तब भी मुझे एक बार डॉक्टरी चिकित्सा के अभावके बारेमें डिप्टी गवर्नरसे शिकायत करनी पड़ी। उसके फलस्वरूप मेरा तबादला जोहानिसबर्ग जेल कर दिया गया; तबसे मेरी ओर अधिक ध्यान दिया जाने लगा । वहाँ मुझे कुछ कम मेहनतका काम - जैसे भण्डार या सिलाईका काम - • दिया गया। गवर्नर और वार्डर मुझपर मेहरबान रहते और मेरी सभी बातोंको ध्यान से सुनते । उस दौरान मेरा स्वास्थ्य बहुत-कुछ सुधर गया। पहली और दूसरी जेलयात्रा बीचमें कुछ दिन ही बाहर रह पाया था । चौदह महीनोंसे ऊपरकी सम्पूर्ण कारावास अवधि में मेरा वजन ७३ पौंड घट गया है।

मेरा ख्याल है कि सत्याग्रहियोंके मनोबल और संकल्पको तोड़नेके इरादेसे ही उनको डीपक्लूफ जेल ले जाया गया था । डोपक्लूफ जेलमें घोर अपराध करनेके जुर्म में दण्डित कैदी ही भेजे जाते हैं और उन्हें ट्रान्सवालके दूसरी जेलोंके कैदियोंकी तरह महीनेमें एक बार सम्बन्धियों इत्यादिसे मुलाकात करने, उनको पत्र लिखने या उनके पत्र पानेकी सुविधाएँ नहीं मिलतीं । चूँकि ये सुविधाएँ वहाँ तीन महीनेकी सजा काट चुकने के बाद शुरू की जाती थीं और चूँकि अधिकांश सत्याग्रहियोंको कठिन परिश्रम सहित तीन महीनेकी ही सजा दी जा सकती है, इसलिए उनको मुलाकातें और डाककी ये सुविधाएँ मिल ही नहीं पाती । वहाँका भोजन ऐसा रखा गया है कि उसे एशियाई कैदी पेट-भर कर खा ही नहीं सकते । वतनी