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हिंदी स्वराज्य

खोजों और शरीर सुखोंमें सार्थकता और पुरुषार्थ मानते हैं। इसके उदाहरण देखें। यूरोपके लोग सौ वर्ष पूर्व जैसे घरोंमें रहते थे उनकी अपेक्षा आज ज्यादा अच्छे घरोंमें रहते हैं। यह सभ्यताका चिह्न माना जाता है। इसमें दृष्टि शरीर-सुखकी है। पहले लोग चमड़ेके कपड़े पहनते थे और भाले काममें लाते थे। अब वे लम्बे पतलून पहनते हैं, शरीरके श्रृंगारके लिए तरह-तरहके कपड़े बनवाते हैं और भालेके बदले लगातार पाँच वार कर सकनेवाली पिस्तौल काममें लाते हैं। यह सभ्यताकी निशानी हुई। जब किसी देशके लोग, जो जूते आदि नहीं पहनते थे, यूरोपीय ढंगकी पोशाक पहनने लगते हैं तब कहा जाता है कि वे जंगली नहीं रहे; सभ्य हो गये । यूरोपमें पहले लोग मामूली हलसे, खुद मेहनत करके, अपने कामके लायक जमीन जोत लेते थे । आज भापके यन्त्रोंसे हल चलाकर एक आदमी बहुत-सी जमीन जोत सकता है, और खूब पैसा इकट्ठा कर ले सकता है। यह सभ्यताकी निशानी मानी जाती है। पहले लोग इनी-गिनी पुस्तकें ही लिखते थे और वे अमूल्य मानी जाती थीं। आज हर कोई चाहे जो लिखता है और छपवाता है और लोगोंका मन भ्रान्त करता है । यह सभ्यताकी निशानी है। पहले लोग बैलगाड़ीसे दिनमें दस बारह कोसकी मंजिल तय कर पाते थे। आज रेलगाड़ीसे चार-सौ कोसका सफर हो जाता हैं। यह तो सभ्यताका शिखर माना गया है। अब जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह धारणा होती जा रही है कि अब मनुष्य वायुयानसे यात्रा करेंगे और कुछ ही घंटोंमें दुनियाके किसी भी कोनेमें जा पहुँचेंगे। मनुष्यको हाथ-पैर हिलानेकी जरूरत नहीं रहेगी। एक बटन दबाया कि पहनने के कपड़े, दूसरा बटन दबाया कि अखबार, तीसरा बटन दबाया कि गाड़ी हाजिर हो जायेगी, नित्य नया भोजन मिलेगा, हाथ-पैरका काम ही नहीं पड़ेगा, सारा काम यन्त्रोंसे ही लिया जायेगा। पहले जब लोग लड़ना चाहते थे तब एक-दूसरेका शरीर-बल आजमाते थे। अब तो वे तोपके एक गोलेसे हजारों जानें ले सकते हैं। यह सभ्यताकी निशानी है। पहले लोग खुली हवामें स्वतन्त्रता पूर्वक उतना ही काम करते थे जितना उन्हें ठीक जान पड़ता था। आज हजारों मजदूर अपनी गुजर- बसरके लिए इकट्ठे होकर बड़े कारखानों या खदानों में काम करते हैं। उनकी दशा जानवरोंसे भी बदतर हो गई है। उन्हें सीसा आदिके कारखानोंमें जान जोखिममें डालकर काम करना पड़ता है और लाभ पैसेवालोंको मिलता है। पहले लोग मार-मार कर गुलाम बनाये जाते थे, अब पैसे और सुखका लालच देकर गुलाम बनाये जाते हैं। जो पहले नहीं थे अब ऐसे रोग पैदा हो गये हैं और लोग अनुसन्धान करनेमें लगे हैं कि [ सभ्यतासे उत्पन्न ] उन रोगोंको कैसे मिटाया जाये। इस तरह अस्पतालोंकी वृद्धि हो रही है। यह सभ्यताकी निशानी मानी जाती है। पहले जो पत्र लिखे जाते थे उनके लिए खास हरकारा जाता था, और इसमें बहुत खर्च होता था । आज मुझे किसीको गाली देनेके लिए भी पत्र लिखना हो तो मैं एक पैसेमें गाली दे सकता हूँ। किसीको मैं धन्यवाद देना चाहूँ तो वह भी उसी खर्चमें पहुँचा सकता हूँ। यह सभ्यताकी निशानी है। पहले लोग दो-तीन बार खाते थे, और वह भी हाथसे पकाई रोटी और हुआ तो कुछ शाक। अब दो-दो घंटमें खानेको चाहिए, और वह इस



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