पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/६००

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परिशिष्ट ८ प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयक (१९११) १९११ की सरकारी सूचना सं० ३५३ संलग्न विधेयक, जिसका मन्शा संघके विभिन्न प्रान्तोंमें लागू प्रवेश-विषयक प्रतिबन्धोंसे सम्बन्धित कानूनका एकीकरण और संशोधन करना, संघीय प्रवास विभागकी स्थापनाकी व्यवस्था करना और संघ या उसके किसी प्रान्तमें प्रवेशको नियन्त्रित करना है, आम जानकारीके लिए प्रकाशित किया जाता है । प्रधान मन्त्री कार्यालय केप टाउन, २४ फरवरी, १९११ डब्ल्यू० ई० बॉक प्रधान मन्त्रीके सचिव विधेयक संघ के विभिन्न प्रान्तों में लागू प्रवेश-विषयक प्रतिबन्धोंसे सम्बन्धित कानूनों के एकीकरण और संशोधन, संघीय प्रवास-विभागको स्थापना और संघ या उसके किसी प्रान्तमें प्रवेशके नियन्त्रणके निमित्त । गृह-मन्त्री द्वारा पेश किये जानेके लिए महामहिम सम्राट महोदय, दक्षिण आफ्रिकी संघकी सीनेट और असेम्बली द्वारा निम्न कानून बनाया जाये : प्रारम्भिक १. अधिनियमके पहले परिशिष्टमें उल्लिखित कानून उसी परिशिष्टके चौथे स्तम्भमें निर्दिष्ट-सीमा तक रद कर दिये जायेंगे और वे इस आदेश-पत्रके द्वारा रद किये जाते हैं। इसके साथ ही किसी कानूनका उतना भाग भी, जो इस अधिनियमकी व्यवस्थाके विपरीत या उससे असंगत हो, रद किया जाता है । २. इस अधिनियममें और इसके अन्तर्गत बनाने गये विनियमोंमें यदि प्रसंगसे असंगत न हो तो: ‘विभाग' का अर्थ इस अधिनियमके अन्तर्गत स्थापित प्रवास-विभाग होगा; ‘ प्रवासी अधिकारी' का अर्थ होगा प्रधान प्रवासी-अधिकारी या विभागका कोई अन्य अधिकारी या कोई भी ऐसा अन्य व्यक्ति, चाहे वह विभागका अधिकारी हो या न हो, किन्तु जिसे मन्त्री द्वारा इस अधिनियम या विनियमोंपर अमल करानेकी सत्ता दी गई हो या जिसे यह कर्तव्य सौंपा गया हो; ( 'मजिस्ट्रेट' का अर्थ होगा प्रधान मजिस्ट्रेट या रेजीडेंट या असिटेट रेजीडेंट मजिस्ट्रेट; ‘मास्टर ' का जहाजके सम्बन्ध में अर्थ होगा (पाइलटसे भिन्न ) कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उस वक्त जहाजका अधिकारी हो या उसकी कमान सँभाल रहा हो; ‘मन्त्री' का अर्थ होगा गृह विभागका मन्त्री या कोई अन्य मन्त्री जिसे गवर्नर जनरल इस अधिनियमका प्रशासन सौंप दे; Gandhi Heritage Portal