चोरी करने, यह जानते हुए कि यह माल चोरीका है, चोरीका माल लेने, धोखादेही
करने, जालसाजी करने या जाली कागजातको जाली जानते हुए चलाने, जाली सिक्के
बनाने या उन्हें जाली जानते हुए चलाने, अपराध करनेके इरादेसे सेंध लगाने, चोरी
करने, हिंसापूर्वक डकैती करने, चिट्ठीसे या दूसरी तरहसे रुपया ऍटनेके लिए धमकी
देने या ऐसे किसी अपराधका प्रयत्न करनेमें, और उस अपराधसे सम्बद्ध स्थितिके कारण
मन्त्री उसे संघका अवांछनीय निवासी या संघमें आया हुआ अवांछनीय व्यक्ति मानता हो;
(च) कोई निर्बुद्धि या मिरगीसे पीड़ित व्यक्ति या कोई व्यक्ति, जो पागल हो या जिसके
मस्तिष्कमें कुछ कमी हो, या जो बहरा और गूंगा हो या बहरा और अन्धा हो, या
गूंगा और अन्धा हो, या जो किसी दूसरे शारीरिक रोगसे पीड़ित हो- जबतक इनमें से
किसी भी मामले में कोई व्यक्ति स्वयं या उसका साथी या कोई दूसरा व्यक्ति मन्त्रीको
संघमें उसके स्थायी पालन-पोषणको या जब मन्त्री चाहे तब उसको सबसे बाहर ले जानेकी
सन्तोषजनक जमानत न दे;
(छ) कोई व्यक्ति जो कोढ़से या किसी ऐसे स्पर्शजन्य संक्रामक या किसी घृणित रोगसे या किसी
अन्य रोगसे, जो विनियम में बताया गया है, पीड़ित हो या जो मानव-वर्ग में निम्न श्रेणीका
हो या बहुत गया- गुजरा हो ।
व्यक्ति जो निषिद्ध नहीं हैं
५. नीचे लिखे व्यक्ति या वर्ग इस अधिनियमके उद्देश्यों के अनुसार निषिद्ध प्रवासी न होंगे,
(क) महामहिमकी नियमित जल-सेना या स्थल सेनाका कोई सदस्य;
(ख) किसी विदेशी राज्यके सरकारी जहाजके अफसर और जहाजी कर्मचारी;
(ग) कोई व्यक्ति, जो संघमें महामहिम सम्राट या किसी दूसरे देशकी सरकार द्वारा या उनके
अधिकारसे विधिवत् प्रमाणित हो या ऐसे व्यक्तिकी पत्नी, परिवार, कर्मचारी या नौकर;
(घ) कोई व्यक्ति जो ऐसी स्थितियों में जिनका समय-समयपर किसी कानूनके अनुसार या किसी
पड़ोसी प्रदेश या राज्यकी सरकारके साथ सम्पन्न इकरारके अनुसार निर्देश किया जाये, संघमें प्रवेश
करता है और जो ऐसा व्यक्ति नहीं है जैसा इससे पहले खण्डके अनुच्छेद (ख), (ग), (घ), (ङ),
(च) या (छ) में बताया गया है।
अपराध और दण्ड
६. (१) प्रत्येक निषिद्ध प्रवासी, जो इस अधिनियमके लागू होनेके बाद संघमें प्रवेश करेगा या
पाया जायेगा, वह अपराधी होगा और अपराध सिद्ध होनेपर इन दण्डोंका पात्र होगा:
(क) सादी या सख्त कैद जो तीन महीनेसे ज्यादाकी न होगी और जिसमें जुर्मानेका विकल्प
न होगा; और
(ख) मन्त्रीके आदेश-पत्रसे किसी भी समय संघसे निर्वासन ।
(२) निषिद्ध प्रवासी जबतक निर्वासित न किया जाये तबतक विनियममें निर्दिष्ट हिरासत में रखा जा
सकता है ।
(३) यदि यह जमानत दे दी जाये कि निषिद्ध प्रवासी एक महीनेके भीतर संघसे चला जायेगा और
फिर नहीं लौटेगा एवं मन्त्रीको उससे सन्तोष हो जाये तो निषिद्ध प्रवासी पूर्वोक्त कैदसे या
हिरासतसे छोड़ा जा सकता है ।
(४) कैदकी ऐसी सजा संघसे निषिद्ध प्रवासीके निर्वासित किये जाते ही खत्म मानी जायेगी ।
(५) जेल या कारावासके प्रत्येक अधिकारीका कर्तव्य होगा कि निषिद्ध प्रवासीके निर्वासनका आदेश-
पत्र दिखाये जाने पर वह अधिकारी उसमें उल्लिखित बन्दीको किसी पुलिस अधिकारी या प्रवासी
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/६०२
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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय