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परिशिष्ट

(५) यदि किसी कारण से ऐसा कोई निषिद्ध प्रवासी, फिर जहाजपुर न चढ़ाया जाये तो मालिक 5 उपखण्ड (३) के अनुसार प्रवासी अधिकारीके कहनेपर दूसरे जहाजमें उचित भोजन और स्थानके साथ उस निषिद्ध प्रवासीको उस जगह भिजवानेका मार्ग-व्यय देगा जहाँसे वह पहले चढ़ा था, उसका व्यय सरकार न देगी ।

(६) यदि कोई ऐसा व्यक्ति, जिसपर इस खण्डमें दी गई व्यवस्थाके अन्तर्गत कार्रवाई की जा रही हो, नजरबन्दीसे भाग जाये या भाग जानेका प्रयत्न करे तो उसे बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकेगा और इस अधिनियम के अन्तर्गत किये गये अन्य किसी अपराधके अतिरिक्त वह भागने या भाग निकलने का प्रयत्न करनेका अपराधी भी समझा जायेगा ।

जब्ती

१४. (१) यदि किसी जहाजके किसी बन्दरगाहमें पहुँचनेके बाद कोई निषिद्ध प्रवासी उससे उस बन्दरगाह में उचित अधिकारके विना उतरता है तो मास्टर या मालिकका उतना रुपया जब्त कर लिया जायेगा जितना मन्त्री निश्चित करें; किन्तु वह रकम ऐसे प्रत्येक निषिद्ध प्रवासीके सम्बन्धमें एक सौ पौंडसे ज्यादा न होगी ।

(२) जबतक यह निश्चित की गई रकम अदा नहीं कर दी जाती और मालिक या मास्टर ऐसे प्रत्येक निषिद्ध प्रवासीको संघसे, प्रवासी-अधिकारीको सन्तोष देने योग्य ढंगसे, स्थानान्तरित करनेकी व्यवस्था नहीं कर देता, तबतक मास्टर या मालिकको निकासी-पत्र न दिया जायेगा । (३) इस खण्डके अन्तर्गत की गई जन्तीकी रकमकी वसूलीके उद्देश्यसे कोई बड़ी अदालत जहाजकी कुर्कीका आदेश दे सकती है।

जहाजके कर्मचारी

१५. (१) किसी बन्दरगाहमें किसी जहाजके पहुँचनेपर या पहुँच चुकनेके बाद और फिर उसकी रवानगीसे पहले प्रवासी अधिकारी मास्टरसे जहाजके कर्मचारियोंकी हाजिरी लेनेके लिए कह सकता है और उनमें से जो निषिद्ध प्रवासी हों, उनके नामोंकी सूची उसे दे सकता है । (२) यदि जहाजके कर्मचारियोंमें से कुछ निषिद्ध प्रवासी होनेके कारण अपनी हाजिरी न दें तो जहाजके मास्टर या मालिकको जहाज रवाना होने से पहले प्रवासी अधिकारीके पास ऐसे प्रत्येक गैरहाजिर व्यक्ति के लिए बीस पौंडकी रकम जमा करानी होगी ।

(३) यदि मास्टर या मालिक इसके बाद छः महीनेमें यह सिद्ध न कर दे और प्रवासी अधिकारीको इस बातका सन्तोष न करा दे कि जिस व्यक्तिके लिए रकम जमा कराई गई थी, वह अब संघसे जा चुका है तो उस रकमको सरकार जब्त कर लेगी । (४) जबतक इस खण्ड के अन्तर्गत आवश्यक कोई रकम जमा नहीं कराई जाती तबतक मास्टर या मालिकको निकासी पत्र नहीं दिया जायेगा । (५) इस खण्डके अन्तर्गत की गई जन्तीकी रकमको वसूल करनेके उद्देश्यसे कोई बड़ी अदालत जहाजकी कुर्कीका हुक्म दे सकती है ।

समझौता

१६. जो जहाज बन्दरगाहोंमें आते-जाते रहते हैं उन जहाजोंकी निकासीकी सुविधाके उद्देश्यसे मन्त्री चाहे तो मालिकसे ऐसा करार या समझौता कर सकता है जिसके अन्तर्गत वह यह जिम्मा ले कि वह या उसके जहाजोंके मास्टर, जो बन्दरगाहोंमें आते हैं, उन पिछले अन्तिम दो खण्डोंकी व्यवस्थाको उस हद तक अमल में लायेंगे जिस हद तक उनका सम्बन्ध मालिक या मास्टरसे है और जिस हद तक उनका सम्बन्ध रुपये के भुगतान या पेशगीकी अदायगीसे है। और इनके बारेमें करार या समझौता हो जानेपर वह व्यवस्था उक्त खण्डों का स्थान लेगी । १०-३६