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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

मई ५ : ट्रान्सवाल सरकार द्वारा बिना मुकदमा चलाये भारतीयोंको निर्वासित करनेके विरुद्ध मद्रासकी सार्वजनिक सभामें रोष प्रकट किया गया ।

मई ६ : इंग्लैंडके राजा एडवर्ड सप्तमका देहान्त ।

मई ८ : 'हिंद स्वराज्य' के बारेमें अपनी सम्मति देते हुए गांधीजीको लिखे एक पत्रमें टॉल्स्टॉय ने कहा कि सत्याग्रह न केवल भारतीयों, बल्कि समस्त मानवताके लिए अत्यन्त महत्त्वकी वस्तु है ।

मई १० : ट्रान्सवाल विधानसभा के सदस्य श्री डब्ल्यू० वायबर्ग के पत्रका उत्तर देते हुए गांधीजीने 'हिन्द स्वराज्य' में व्यक्त अपने विचारोंका समर्थन किया और उन्हें ठीक बताया ।

मई ३० : कैलेनबैकने ट्रान्सवालमें सत्याग्रह चलने तक के लिए लॉलीके निकट स्थित अपना फार्म सत्याग्रहियों और उनके परिवारके लिए देनेका प्रस्ताव किया था । गांधीजीने इसके लिए धन्यवाद देते हुए श्री कैलेनबैकको पत्र लिखा ।

जून १ : दक्षिण आफ्रिका संघकी स्थापना हुई ।

जून २ : समाचारपत्रोंको लिखे गये एक पत्र में गांधीजीने कहा कि दक्षिण आफ्रिका संघकी स्थापना कोई खुशी मनानेकी बात नहीं । संघका बनना तो एशियाइयोंके विरुद्ध सभी शत्रु-शक्तियोंका एकत्र होना है ।

जून १० : सर चार्ल्स हार्डिंग भारतके वाइसरॉय नियुक्त हुए ।

जून १३ : ट्रान्सवाल सरकार द्वारा अप्रैल में निर्वासित किये गये २६ सत्याग्रही 'प्रेसीडेंट ' नामक जहाजसे डर्बन वापस लौटे ।

जून १८ : डर्बनमें भारतीयोंकी विशाल सभा में सत्याग्रहका समर्थन किया गया । भारतसे बाहर शाही उपनिवेशों और संरक्षित प्रदेशोंमें जानेवाले प्रवासियोंके मामलेकी जाँच करनेवाली समितिकी रिपोर्ट प्रकाशित ।

जून २६ : गांधीजीने जोहानिसबर्गके सोशलिस्ट हॉलमें आयोजित एक सभामें " निक बनाम प्राचीन सभ्यता पर भाषण किया ।

जून २९ : कॉमन्स सभा में श्री ओ' ग्रेडीने ट्रान्सवालमें भारतीयोंकी समस्यापर चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि समझौता करानेके लिए गांधीजी और स्मट्सके बीच बातचीत होनी चाहिए।

जुलाई १ : गांधीजीने लन्दन स्थित दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको तार देकर सूचित किया कि नेटालने निर्वासित भारतीयोंको वापस आनेपर प्रवेश देने से मना कर दिया है ।

जुलाई ३ : टॉल्स्टॉय फार्मेपर बसनेवालोंकी सहायता के लिए उपहार देनेकी अपील की । जुलाई ८ : ब्रिटिश भारतीय संघने लॉर्ड ग्लैडस्टनको अभिनन्दन पत्र दिया ।

जुलाई ९ : उपनिवेश सचिवको उत्तर देते हुए लॉर्ड ग्लैडस्टनने सूचित किया कि तीन महीने तक की सजा काटनेवाले भारतीयोंकी दैनिक खुराकमें वृद्धि करनेका फैसला किया गया है।

जुलाई २१ : नेटालके सरकारी गजटमें १८९१ के भारतीय प्रवासी कानूनके अन्तर्गत बनाये गये नियम प्रकाशित हुए। इन नियमोंके अनुसार बागानोंमें काम करनेवाली १०- ३७