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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जनवरी ३० : ड्यूक ऑफ कनॉटने लन्दनके गिल्डहॉलमें एक दावतके दौरान भाषण करते हुए आशा व्यक्त की कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके प्रश्नपर जल्द ही -समझौता हो जायेगा ।

फरवरी १: दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके नये नियम लागू हुए।

फरवरी १४ : गृह-मन्त्रीने नेटालके कानूनमें रद्दोबदल करने और भारतीय महिलाओंको ३ पौंड करकी अदायगीसे विमुक्त करनेका नेटाल भारतीय कांग्रेसका अनुरोध माननेसे इनकार कर दिया।

फरवरी १९ : अखिल भारतीय मुस्लिम लीग, लन्दनने दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके कष्टोंके बारेमें उपनिवेश उपमन्त्रीको लिखा ।

फरवरी २० : ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षने रेलवेके नये नियमोंके विरुद्ध दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके कार्यवाहक महाप्रबन्धकको लिखा ।

फरवरी २४ : पोलकने 'टाइम्स ऑफ नेटाल'को लिखते हुए नेटालमें गुलामी प्रथाकी निन्दा की ।

फरवरी २५ : दक्षिण आफ्रिकी संघ सरकारके असाधारण गज़टमें प्रवासी प्रतिबंधक विधेयक (१९११) का पाठ प्रकाशित हुआ । 'स्ट्रेंजर' नामक बागानके एक मालिकके गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंने सत्याग्रह किया । फरवरी २७ : 'स्ट्रेंजर' बागानके सत्याग्रहियोंको सजा सुनाई गई और उन्हें जेल भेज दिया गया ।

फरवरी २८ : भारतीय प्रवासीयोंके संरक्षक द्वारा 'स्ट्रेंजर' बागानके सत्याग्रहियोंकी रिहाई । स्मट्सने संसदमें कहा कि एशियाई लोग एक अत्यंत प्राचीन जातिके हैं इसलिए उनके साथ आम तौरपर बर्बर मानकर बर्ताव नहीं किया जा सकता ।

मार्च २ : प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकका प्रथम वाचन । गांधीजीने गृह मन्त्रीके निजी सचिवके नाम अपने पत्रमें यह स्पष्टीकरण माँगा कि क्या नये विधेयकके खण्ड १ के अन्तर्गत शैक्षणिक परीक्षामें उत्तीर्ण होनेवाले एशियाइयोंको १९०८ के अधिनियम ३६के अन्तर्गत अपना पंजीयन कराये बिना ट्रान्सवालमें प्रवेश और निवास करनेकी अनुमति रहेगी। प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयककी व्याख्याके बारेमें राय जाननेके लिए जोहानिसबर्गके एक वकील आर० ग्रेगरोवस्कीको लिखा ।

मार्च ४ : लेनने गांधीजीके पत्रके उत्तरमें लिखा कि नये प्रवासी विधेयकके अन्तर्गत प्रवासियोंके रूपमें प्रवेश पानेवाले एशियाई “पंजीयन कानूनोंके अधीन नहीं होंगे और उनपर प्रांतीय सीमाओंका प्रतिबन्ध नहीं रहेगा।

गांधीजीने लेनके नाम अपने पत्रमें अनुरोध किया कि समितिके स्तरपर नये विधेयकको इस प्रकार संशोधित किया जाये कि उनका आश्वासन “बिल्कुल स्पष्ट " हो जाये । उन्होंने पंजीकृत एशियाइयोंकी पत्नियों और नाबालिग बच्चोंके लिए वैधानिक संरक्षणकी मांग की।