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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

देनेके लिए चाहे जो साधन काम नहीं देगा और नतीजा साधनके अनुरूप आयेगा | आपका धर्म चोरको घरसे चाहे जैसे निकाल देनेका कदापि नहीं है।

जरा और आगे बढ़ें। मान लीजिए कि वह शस्त्र-बली आपकी कोई चीज ले गया है। इसे आपने याद रखा। इसपर आपको क्रोध है और आप उस लुच्चेको अपने लिए नहीं, किन्तु लोक-कल्याणके लिए सजा देना चाहते हैं। आपने लोग इकट्ठे किये। उसके घरपर धावा बोल दिया। उसे खबर लगी । वह भाग गया। उसने दूसरे लुटेरे इकट्ठे किये । वह भी चिढ़ा हुआ है। अब तो उसने दिन-दहाड़े आपका घर लूट लेनेका सन्देशा आपको भेज दिया। आप बलवान हैं, डरते नहीं हैं। आप अपनी तैयारीमें हैं। इस बीच वह लुटेरा आपके आसपासके लोगोंको परेशान करता है। वे आपके पास फरियाद करते हैं। आप कहते हैं: “मैं यह सब-कुछ तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूँ। मेरा माल गया, यह तो कोई बड़ी बात थी ही नहीं। लोग कहते हैं: "पहले तो वह हमें नहीं लूटता था। आपने उसके साथ टंटा शुरू किया तभीसे उसने यह शुरू किया है। [23] आप दुविधामें पड़ जाते हैं। आपको गरीबोंपर दया है। उनकी बात सच्ची है । अब क्या किया जाये ? लुटेरेको छोड़ दें ? उसमें तो आपकी इज्जत जाती है । इज्जत तो सबको प्रिय होती है। आप गरीबोंसे कहते हैं : 'फिक्र न करो। यह मेरा धन आपका है। मैं आपको हथियार देता हूँ। आपको उनका उपयोग करना भी सिखाऊँगा । आप बदमाशको मारिए, छोड़िए मत । इस तरह झगड़ा बढ़ गया । लुटेरे बढ़े। लोगोंने अपने हाथों मुसीबत मोल ले ली। चोरसे बदला लेनेका नतीजा यह हुआ कि नींद देकर जागरण ले लिया। जहाँ शान्ति थी, वहाँ अशान्ति हो गई। पहले तो जब मौत आती थी, तभी मरते थे। अब तो रोज ही मरनेकी घड़ी खड़ी है। लोग हिम्मत खोकर कायर हो गये । आप शान्तिसे देखें तो देख सकेंगे कि मैंने यह तसवीर कुछ बढ़ा-चढ़ा कर नहीं रखी है। यह एक साधन हुआ ।

अब दूसरे साधनकी जाँच करें। चोरको आपने मूर्ख समझा । कभी मौका लगेगा, तो आपने उसे समझानेकी बात तय की है। आपने सोचा कि वह भी मनुष्य है। उसने किस लिए चोरी की, यह आप कहाँ जानते हैं? आपके लिए सही रास्ता तो यही है कि जब समय आये, तब आप उसके हृदयमें से चोरीका बीज ही निकाल डालें । आप इस तरह सोच रहे हैं, तभी वे भाई साहब फिर चोरी करने आ गये । आप क्रोधित नहीं हुए। आपने उसपर दया की। आपको लगा कि यह मनुष्य [ एक प्रकारका ] रोगी है। आपने खिड़की, दरवाजे सब खोल दिये । सोनेकी जगह बदल ली। अपनी चीजें इस तरह रख दीं कि वे आसानीसे उठा ली जा सकें। चोर आया । वह घबराता है। उसे यह अनोखा जान पड़ता है। माल तो वह ले गया, किन्तु उसका मन सोचमें पड़ गया। उसने गाँवमें पूछ-ताछ की। आपकी दयाके विषय- में उसने जाना। वह पछताया और उसने आपसे माफी माँगी। आपकी चीज वापस ले आया। उसने चोरीका धन्धा छोड़ दिया। वह आपका सेवक हो गया। आपने उसे किसी धन्धेमें लगा दिया। यह हुआ दूसरा साधन ।


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