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हाथमें इसकी [ धर्मकी शिक्षाकी ] कुँजी है। लेकिन यदि इनमें सद्बुद्धि उत्पन्न न हो, तो हमारे बीच अंग्रेजी शिक्षाके कारण जो उत्साह उत्पन्न हुआ है, हम उसका उपयोग करके लोगोंको नीतिकी शिक्षा दे सकते हैं। यह कोई बड़ी कठिन बात नहीं है । भारतके महासागरके किनारोंपर ही मैल जमा हो गया है। उस मैलसे जो गन्दे हो गये हैं, उन्हें साफ होना है। हम लोग भी ऐसे ही हैं और हम लोग खुद ही बहुत- कुछ साफ हो सकते हैं। मेरी यह टीका करोड़ों जनताके वारेमें नहीं है। भारतको सही रास्तेपर लाने के लिए हमें स्वयं अपनेको सही रास्तेपर लाना होगा। बाकी करोड़ों लोग तो सही रास्तेपर ही हैं। उनमें सुधार-बिगाड़, परिवर्तन-परिवर्धन समयके अनुसार होता रहेगा। पश्चिमकी सभ्यताको उठा फेंकनेकी कोशिश हमें करनी है। शेष तो अपने आप हो जायेगा ।

अध्याय १९ : यन्त्र

पाठक: आप पश्चिमी सभ्यताको निकाल बाहर करनेकी बात करते हैं, तब तो आप ऐसा भी कहेंगे कि यन्त्र भी हमें बिलकुल नहीं चाहिए ।

सम्पादक : यह सवाल करके आपने, मुझे जो आघात लगा था, उसे ताजा कर दिया है। श्री रमेशचन्द्र दत्तकी पुस्तक 'भारतका आर्थिक इतिहास' जब मैंने पढ़ी थी, तब भी मेरी ऐसी हालत हो गई थी। उसके बारेमें फिरसे सोचता हूँ, तो मेरा दिल भर आता है। यन्त्रोंकी लपेटमें आनेके कारण ही भारत बरबाद हुआ। मैन्चेस्टरने हमें जो नुकसान पहुँचाया है, उसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती । भारतसे कारीगरी लगभग खत्म हो गई, यह मैन्चेस्टरका ही प्रताप है।

लेकिन यह मेरी भूल है। दोष मैन्चेस्टरको कैसे दिया जा सकता है ? हमने उनके कपड़े पहने, तभी उसने उन्हें बुना। जब मैंने बंगालकी बहादुरीका वर्णन पढ़ा, तब मुझे खुशी हुई। बंगाल कपड़ेकी मिलें नहीं हैं, इसलिए लोगोंने अपना असली धन्धा फिर हाथमें ले लिया। बंगाल बम्बईकी मिलोंको बढ़ावा देता है, सो ठीक ही है; लेकिन यदि उसने मशीनमात्रका बहिष्कार किया होता तो वह और भी ठीक होता ।

यन्त्रोंसे यूरोप उजड़ रहा है और वहाँकी हवा भारतमें आ गई है। यन्त्र आधुनिक सभ्यताकी मुख्य निशानी है, और वह महापाप है ऐसा मैं तो बहुत साफ देख सकता हूँ ।

बम्बईकी मिलोंमें जो मजदूर काम करते हैं, वे गुलाम बन गये हैं। जो औरतें उनमें काम करती हैं, उनकी दशा देखकर किसीको भी कँपकँपी हो आयेगी। जब मिलोंकी भरमार नहीं हुई थी, तब ये औरतें कुछ भूखों नहीं मरती थीं। यदि यन्त्रोंकी यह हवा ज्यादा चली, तो भारतकी बड़ी शोचनीय स्थिति हो जायेगी। मेरी

१ बंग-भंगसे सम्बन्धित स्वदेशी आन्दोलनमें स्वदेशीके पुनरुज्जीवनका प्रयत्न हुआ था ।

२. हाथ-चुनाई ।


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