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३५. नेटाल कैसे सहायता कर सकता है

ट्रान्सवालकी लड़ाई में नेटालने गत वर्ष भारी सहायता की थी ।' इस बार तो हद कर दी है । नेटालके प्रमुख और शिक्षित भारतीय जेल में जा बैठे हैं ।

किन्तु ऐसा होनेसे नेटालका इस आन्दोलनसे गहरा सम्बन्ध हो गया है । अब इसपर भी ट्रान्सवालके समान ही बोझा आ पड़ा है। नेटालके बन्दियोंको शीघ्रता से बन्धन-मुक्त करवाना जितना ट्रान्सवालका कर्तव्य है, उतना ही नेटालका भी हो गया है । ट्रान्सवालका जो कर्तव्य है, वह हमारी जोहानिसबर्ग की चिट्ठी में बताया गया है । इसलिए अब नेटालका विचार करें ।

नेटालका एक कर्तव्य तो यह है कि वह लन्दनकी [ द० आ० ब्रि० भा०] समितिका खर्च चलाने के लिए नियमित रूपसे पैसे भेजता रहे । इस उद्देश्यकी पूर्तिके लिए शीघ्रता से चन्दा इकट्ठा किया जाना चाहिए। यह सन्तोषकी बात है कि यह कार्य आरम्भ कर दिया गया है ।

दूसरा कर्तव्य यह है कि दूसरे नेता, जो ट्रान्सवालके अधिवासी रह चुके हैं, और बैरिस्टर, डॉक्टर आदि उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय ट्रान्सवालमें प्रवेश करें और श्री दाउद मुहम्मदका साथ दें । फिर, जिनके पास ३ पौंडी पंजीयन प्रमाणपत्र ( रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) या अनुमतिपत्र (परमिट) हैं उनको ट्रान्सवाल भेजा जाये । इनमें से कोई भी सीमापर अपने अँगूठेकी छाप न दें और इस प्रकार वे [ भारतीयोंके ] उचित अधिकारोंकी प्राप्तिके लिए जेलों को भर दें। यदि इस उपायका अवलम्बन किया जाये तो कुछ ही दिनोंमें संघर्षका अन्त हो जायेगा, और बहुत-से भारतीय अपने समाजमें आई हुई नई शक्तिकी परीक्षा कर सकेंगे ।

ऐसा करने से निस्सन्देह नेटालका बहुत लाभ होगा । उसे अभी बहुत मोर्चे लेने हैं । उसे व्यापारिक कानूनको रद कराना है, गिरमिटियोंके दुःखोंका अन्त कराना है और अत्याचारपूर्ण ३ पौंडी करको समाप्त कराना है । यदि इस सब कार्य में बहुत से नेता अपनी नई शक्तिकी आजमाइश करेंगे तो वह भविष्य में बहुत काम आयेगी । जब गोरे यह देख लेंगे कि हममें ऐसी शक्ति आ गई है तो वे हमसे छेड़खानी करने से पूर्व सोचेंगे अवश्य ।

नेटालके बन्दरगाहमें जल्दी ही बम्बईसे एक जहाज आयेगा । उसमें बहुत-से भारतीय ट्रान्सवालके हैं। उन्हें समझाना, सारी स्थिति से वाकिफ कराना, और ऐसा इन्तजाम करना कि वे ट्रान्सवालमें प्रवेश करते समय अँगूठेकी निशानी कतई न दें--यह सब नेटालके भारतीयोंका

१. देखिए खण्ड ७, पृष्ठ १४४ और २११-१२ ।

२. दाउद मुहम्मद, पारसी रुस्तमजी और आंगलिया ।

३. देखिए " जोहानिसबर्गकी चिट्ठी ", पृष्ठ ६२-६४ ।

४. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी ) ।

५. नेटाल भारतीय कांग्रेसने समितिको १०० पौंड भेजे थे; देखिए “ जोहानिसबर्गको चिट्ठी ", पृष्ठ १५ ।