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३८. पत्र : 'इंडियन ओपिनियन'को

जोहानिसबर्ग

सितम्बर ३०, १९०८

सम्पादक
'इंडियन ओपिनियन'
महोदय,

जेल- निदेशक (डायरेक्टर ऑफ प्रिजन्स) की ओरसे मेरे संघको नीचे दिये गये कुछ और सन्देश प्राप्त हुए हैं :

इसी २४ तारीखके आपके उस पत्रके सम्बन्ध में, जिसके साथ आपने सैयद अलीका बॉक्सबर्ग जेलमें उसके साथ हुए व्यवहारसे सम्बन्धित हलफनामा भेजा है, मुझे यह कहना है कि ईस्ट रैंडके जेलोंके गवर्नरने मामलेकी जाँच कर ली है और मुझे उनसे उसका विवरण मिल गया है ।

मुझे इस बातकी प्रतीति हो गई है कि सैयद अलीके साथ जेलके नियमोंके अनुसार व्यवहार किया गया था और वर्तमान स्थितियोंमें मामलेकी और ज्यादा जाँच करनेका मेरा इरादा नहीं है ।

ट्रान्सवालकी जेलोंमें कैद ब्रिटिश भारतीयोंके लिए ट्रान्सवालमें लागू भोजन-तालिकाके विषय में लिखे हुए आपके इसी २५ तारीख के दूसरे पत्रके' सम्बन्धमें मुझे आपको यह सूचना देनी है कि फिलहाल मिली हुई सलाहके अनुसार में मौजूदा भोजन-तालिकामें परिवर्तन करानेकी वृष्टिसे कोई लिखा-पढ़ी करने को तैयार नहीं हूँ ।

दिखाई देता है कि सैयद अलीने अपनी शिकायतोंकी खुली अदालती जाँचकी जो प्रार्थना की है वह अस्वीकृत कर दी जायेगी । भारतीय कैदियोंके लिए ट्रान्सवालकी जेलों में लागू भोजन-तालिकाके सम्बन्ध में मेरे संघको अब यह निश्चय हो जाना चाहिए कि भारतीय कैदियोंको भूखों मारकर झुकने के लिए बाध्य करना और इस तरह ब्रिटिश भारतीय समाजपर दबाव डालनेका प्रयत्न करना ट्रान्सवाल सरकारकी निश्चित नीति है ।

आज्ञाकारी सेवक,

अ० मु० काछलिया

अध्यक्ष,

ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३-१०-१९०८

१. यह " दिल दहलानेवाले आरोप : जाँचकी आवश्यकता ", शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था ।

२. देखिए "पत्र : जेल- निदेशकको", पृष्ठ ७० ।

३. देखिए "पत्र : जेल-निदेशकको", पृष्ठ ७१ ।

४. देखिए “पत्र : जेल-निदेशकको", पृष्ठ ५७-५९ ।