३९. तार : द० आ० ब्रि० भा० समितिको
जोहानिसबर्ग
सितम्बर ३०, १९०८
कल एक भारतीयको उपनिवेश न त्यागने पर एक महीने की कड़ी कैद; दूसरेको सात दिनमें उपनिवेश-त्यागकी आज्ञा; नया वैधीकरण कानून' इक्कीस सितम्बर से लागू और अक्तूबर में पंजीयनको दर्खास्त देने और पंजीयकके निर्णयके विरुद्ध अपोलका अधिकार; फिर भी दोनों एशियाई कानूनके अन्तर्गत दण्डित । आज एक शिक्षित भारतीय एशियाई कानूनके अन्तर्गत एक महीने की कैद भुगतकर रिहा । एशियाई कानूनके अन्तर्गत जेलके दरवाजेपर फिर गिरफ्तार । समाज दंग । ज्ञात हुआ पुराना कानून प्रशासनिक दृष्टि से प्रभावहीन । भविष्य में वैधिकरण कानून लागू होनेवाला । समाजका पुराने कानूनको रद करनेका आग्रह |
[ मो० क० गांधी० ]
४०. भेंट : 'नेटाल मर्क्युरी' को
[ डर्बन
सितम्बर ३०, १९०८]
ट्रान्सवालवासी भारतीयोंके हितोंके जोरदार समर्थक श्री मो० क० गांधी आजकल डर्बन आये हुए हैं । कल उनसे इस पत्रके एक प्रतिनिधिने भेंट की ।
यह पूछा जानेपर कि इस समय वे डर्बन किस उद्देश्यसे आये हैं, उन्होंने बताया कि मैं यहाँ उन भारतीयोंके प्रश्नके सिलसिले में आया हूँ जिन्हें युद्ध से पहले ट्रान्सवालके निवासी होनेके कारण ट्रान्सवालमें वापस जानेका अधिकार है । में विशेषकर उन भारतीयोंसे मिलने आया हूँ जो जर्मन जहाज 'गवर्नर' से आनेवाले हैं । यह जहाज अच्छी संख्या में ट्रान्सवालके लिए भारतीय यात्री ला रहा है ।
ट्रान्सवालमें भारतीयोंको वर्तमान स्थितिके सम्बन्धमें किये गये एक प्रश्नके उत्तरमें श्री गांधी ने कहा कि लड़ाईकी शक्ल अब यह रह गई है कि जिन्हें ट्रान्सवालमें रहनेका अधिकार है,
१. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति या साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी, लन्दन ।
२. न्यू वैलिडेशन ऐक्ट ।
३. रजिस्टेशन ।