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भाषण : हमीदिया इस्लामिया अंजुमनकी स्वागत-सभा में

जिनके पास भी गये उन] सभी भाइयोंने उनका मान रखा, यह देखकर मुझे सन्तोष हुआ है। पिछली आम सभा में[१] चार प्रस्ताव पास हुए थे। उनमें से दूसरा प्रस्ताव श्री कामाने सभीको समझा दिया था; और आज फिर मैं समझाता हूँ । [ प्रस्ताव यह था ] कि " जबतक सरकार इन्साफ नहीं देतो, तबतक हम खुदाको बीचमें रखकर लड़ेंगे । अगर आपने कसम सोच-समझकर ली हो तो सब हाथ उठायें।[२] यह मस्जिदकी पाक इमारत है; याद रखिए कि ऐसी जगह आपने खुदाके नामपर हाथ उठाया है । सेठ रुस्तमजीने मुझे जेल में पढ़ने के लिए धर्म-सम्बन्धी एक पुस्तक भेजी थी । उसमें लिखा है कि अच्छे काम करनेवालेको खुदा प्यार करता है । आपने खुदाकी कसम लेकर जो इकरार किया है, वह अच्छी तरह सोच-समझकर हो किया होगा; तब फिर आप जीतेंगे क्यों नहीं ? हर धर्म-ग्रन्थ में लिखा है कि "जो मेरे साथ है, उसकी मुराद मैं पूरी करता हूँ ।" सरकार दौलत और शरीर ले जा सकती है, लेकिन रूह -- आत्मा • नहीं । मैंने जो कुछ कहा है, उसे आप अच्छी तरह समझ कर करेंगे, तो आपने जो दो चीजें माँगी हैं, वे ही क्यों -- आप जो भी चाहेंगे, सब मिलेगा । इस लड़ाईकी गूंज हिन्दुस्तान और सारी दुनियामें पहुँच चुकी है। उसे और भी जोरदार बनाइये ।

[ इसके बाद हमीदिया इस्लामिया अंजुमनकी ओरसे गांधीजीको माला पहनाई गई । उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा : ]

इस हारको मैं हीरेका हार मानता हूँ। मैं समझता हूँ, आपने यह हार मुझे मान देनेके लिए नहीं, बल्कि दिलसे पहनाया है; और यही समझकर में अहसान मानता हूँ । दाउद सेठका छोटा लड़का विलायतसे लिखता है कि हममें एकता क्यों नहीं है ? हमीदिया इस्लामिया अंजुमन मुसलमानोंका है। उसकी ओरसे मुझे हार पहनाया गया है, इसे मैं अपना सम्मान समझता हूँ । हिन्दू और मुसलमान, ये दोनों आँखें सलामत रहेंगी, तो आप सुखी रहेंगे। अगर तेरह हजार भारतीय खुदापर भरोसा रखकर लड़ेंगे और दोनों कौमें एक होकर रहेंगी, तो हम हिन्दुस्तानपर भी काबू रख सकेंगे । यहाँ [ की बातों ] का असर स्वदेशपर भी पड़ेगा, और सभी एक हो जायेंगे ।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, १९-१२-१९०८


 
  1. यह २९ नवम्बरको हुई थी ।
  2. सभीने हाथ उठाया ।९-८