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नायडू - सज्जनों और दूसरोंका मुकदमा

उसी दिन बादमें गिरफ्तार भारतीयोंको गवर्नमेंट स्क्वेयर में मुकदमेकी सुनवाईके लिए ले जाया गया। इनकी गिरफ्तारीको खबर बाहर फैल गई थी और जब श्री गांधी उनकी तरफ से पैरवी करनेके लिए पहुँचे तब उनके साथ कोई २०० भारतीय थे ।

पहले चार अभियुक्तों में सी० के० टी० [नायडू ], एल० आर० [ नायडू ] और एल० डी० नायडू तथा ए० वी० चेट्टी थे। अभियुक्तोंने कहा कि वे निरपराध हैं ।

सरकारकी तरफ से पैरवी करते हुए श्री सॅम्युएलने कहा कि यह अभियोग रॉदेरियाके मामले- जैसा है । सारी परिस्थितियाँ वैसी ही हैं । और सवाल यह है कि जबतक रांदेरियाकी अपीलका फैसला नहीं हो जाता तबतक सरकार इस मामलेको आगे बढ़ाये या नहीं ।

श्री जॉर्डन : इन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया है ?

श्री सैम्युएल : इन्हें तो ऊपरसे मिली हिदायतोंके अनुसार गिरफ्तार किया गया है। यह भी आरोप है कि ये धरना दे रहे थे और जो एशियाई लोग कानूनका पालन करना चाहते थे उन्हें बाधा पहुँचा रहे थे। में ऐसा केवल एक पक्षकी तरफसे ही कह रहा हूँ और सम्भव है कि यह सही न हो ।

श्री जॉर्डनने कहा कि जो खबरें मिली हैं, वे अगर सही हैं तो [अभियुक्तोंका ] यह व्यवहार अत्यन्त चिन्त्य है । इस कथनसे जान पड़ता है कि "मेरे सामने भारतीयोंने शपथपूर्वक इस आशयके जो बयान दिये हैं कि इन धरनेदारोंके कारण पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) कराने में उन्हें डर लगता है, वे सत्य हैं । मेरे सामने जिन अभियुक्तोंके मुकदमे पेश हुए हैं उनमें से कईने मुझसे कहा है कि उन्हें डर दिखाया गया है और अब उनकी कहानियाँ मुझे सच्ची लगने लगी हैं ।

श्री गांधी : अगर कानूनका पालन करनेके लिए उत्सुक भारतीयोंको ये कठघरे में खड़े लोग डराते रहे हैं तो निश्चय ही कानूनमें ऐसी कोई धारा जरूर मिल जायेगी जिसे भंग करनेका आरोप इनपर लगाया जा सके। परन्तु इनपर सन् १९०८ के कानून ३६ की धारा ९ के अन्तर्गत अभियोग क्यों लगाया जा रहा है ? जबतक लड़ाई चल रही है तबतक चौकसी तो होती ही रहेगी। हाँ, अगर ये दूसरे लोगोंको डर दिखाते रहे हैं तो इन्हें अवश्य सजा दी जाये । परन्तु मेरे विद्वान मित्र श्री सैम्युएल तो कहते हैं कि उन्हें इस बातपर विश्वास हो नहीं होता ।

श्री जॉर्डन : मेरे सामने लोगोंने आकर शपथपूर्वक कहा है कि उन्हें उनके स्वदेश- वासियोंने डराया है ।

श्री गांधी : कुछ लोग तो ऐसे रहेंगे ही जो कुछ भी कह देंगे ।

श्री जॉर्डन : और मुझे भय है कि जिसे आप बिना सोचे-समझे चौकसी कहते हैं (हँसी) वह जबतक आपके मित्रोंकों करने दी जायेगी तबतक वे ऐसा कहना जारी रखेंगे ।

श्री गांधी : जो भी हो, इन चार आदमियोंपर तो इस धाराके मातहत कोई अभियोग नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि कानूनमें एशियाई पंजीयक (रजिस्ट्रार ऑफ एशियाटिक्स) जैसे किसी अधिकारीका उल्लेख ही नहीं है ।

श्री जॉर्डन : अच्छा! अगर भारतीय पंजीयन करा ही नहीं सकते तो आपने यह धरना क्यों लगवा रखा है ?