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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

ऐसा है तो साम्राज्य सरकारका वह वक्तव्य मौजूद है, जिसका उल्लेख किया जा चुका है। अर्थात्, साम्राज्य सरकार उस स्वशासित उपनिवेशसे झगड़ना नहीं चाहती जो प्रवेशका उक्त अधिकार देनेसे इनकार करता है ।

श्री गांधी : तो, उस अवस्थामें हम स्थानीय सरकार और साम्राज्य सरकार दोनोंसे लड़ेंगे। लेकिन मेरा अब भी विश्वास है कि साम्राज्य सरकार हमारे साथ है ।

भेंटकर्ता : इस समय एक प्रकारका गतिरोध है । आप केवल इसलिए लड़ रहे हैं कि स्थिति इतनी असह्य हो जाये जिससे साम्राज्य सरकारको कोई कार्रवाई करनी पड़े।

श्री गांधी : देखिए, मुझे इस संघर्ष की भावनायें इतना अधिक विश्वास है कि मैं अनुभव करता हूँ कि साम्राज्य सरकारके हस्तक्षेप करने से पहले दक्षिण आफ्रिकाके सब उपनिवेश कहेंगे, "नहीं, हमें ये उचित माँगें अवश्य पूरी कर देनी चाहिए।" ट्रान्सवालमें इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं और कुछ प्रमुख यूरोपीय, जिन्होंने शुरूमें हमारे संघर्षका दूसरा दौर प्रारम्भ करनेकी निन्दा की थी, अब जोरसे हमारा समर्थन कर रहे हैं ।

[ अंग्रेजी से ]
नेटाल मर्क्युरी, ६-१-१९०९

८३. दुकानदार बनाम फेरीवाले

पेट बनाम अन्य अंग

एक बार पेट और शरीरके अन्य अंगोंके बीच भारी झगड़ा हो गया। हाथोंने कहा, 'हम कोई काम नहीं करेंगे; काम करते-करते थक गये; सदा मुखमें भोजन पहुँचाते हैं, किन्तु पेट खाता है और बिगाड़ता है। हमें उससे कोई सहायता तो मिलती ही नहीं। " पैरोंने कहा, हम बिल्कुल चलेंगे ही नहीं। पेटकी बेगार व्यर्थ ही की । मजा करता है केवल पेट; राजा भी वही कहा जाता है। हमारे हाथ तो टहल करना ही रहा । इसी तरह अन्य अंग भी बड़बड़ाने लगे । पेटने उनको बहुत समझाया और कहा कि " तुम मेरा काम नहीं देख सकते । हाथ तो मुँहमें भोजन रखकर निवृत्त हो जाते हैं । पैर भोजन-सामग्री लाकर आराम करते हैं । किन्तु मुझे चौबीसों घंटे काम करना पड़ता है, भले ही तुम मेरे कामको न देखो । यदि मैं एक मिनट भी आराम करूँ तो तुम सबका काम बन्द हो जाये । तुम काम न करोगे तो सबसे पहले तुम्हींको हानि उठानी पड़ेगी। मैं तो कुछ समय तक काम चला सकूंगा, यद्यपि तुम्हारे [ सहयोगके ] बिना अन्तमें मरना मुझे भी होगा । किन्तु तुम सब काम न करोगे तो मुझसे पहले तुम मर जाओगे, यह निश्चित समझ लो ।” अंगोंने यह बात नहीं मानी । उन्होंने काम बन्द रखा । चौबीस घंटे के भीतर ही हाथ-पैर और दूसरे अवयव ढीले पड़ गये। उन्हें पश्चात्ताप हुआ । पेटको कुछ भोजन न मिला था; इससे वे बहुत चिन्तित हुए । अन्तमें उनके सामने पेटके कथनकी सच्चाई सिद्ध हो गई। उन्होंने देखा कि पेटका काम कुछ कम नहीं है। चूंकि वह बहुत-से अंगों के लिए काम करता है, इसलिए उसका काम बिखर जाता है और किसी एक अंगको अधिक दिखाई नहीं देता ।