पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/२०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६७
पत्र : अखबारोंको

है। परवाना लेना मेरे लिए मुमकिन नहीं। अब सवाल यह है कि मेरे पास जो माल है उसका मैं क्या करूँ ? मेरी देनदारी लगभग २,००० पौंडकी है और मालियत ४,००० पौंडकी । श्री काछलियाके लेनदारोंने अपनी बैठकमें जो फैसला किया है और श्री काछलियाके- जैसे मामलोंमें यूरोपीय व्यापारियोंकी सम्मिलित रूपसे की गई कार्रवाईकी जो खबर मिली है उसको देखते हुए, मैं अपने लेनदारोंकी बैठक नहीं बुला रहा हूँ ; बल्कि आपको सिर्फ अपनी स्थितिके बारेमें सूचना देता हूँ। अगर आप चाहें तो मुझे बैठक बुलानेमें या आपकी बुलाई बैठक में शरीक होकर अपने लेनदारोंके सामने अपनी स्थिति रखने में खुशी होगी । आप इस सम्बन्ध में और जो भी जानकारी लेना चाहें वह रिसिक व ऐंडर्सन स्ट्रीट्सके नुक्कड़पर स्थित २१-२४ कोर्ट चैम्बर्स में ब्रिटिश भारतीय संघके कार्यालयसे ले सकते हैं, और अगर आप इसी पतेपर पत्र-व्यवहार करें तो मैं आपका आभार मानूंगा ।

ई० एम० अस्वात

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-१-१९०९

१०४. पत्र : अखबारोंको

[१]

जोहानिसबर्ग
जनवरी २३, १९०९

[ महोदय, ]

श्री अॅ० मु० काछलियाने आत्मत्यागका जो बहुत बड़ा कदम उठाया है उसके लिए में भारतीय संघके एक समयके मन्त्री और एक व्यापारीकी हैसियतसे उन्हें बधाई देता हूँ । मेरे खयालसे वे ब्रिटिश भारतीय समाजके और खास तौरसे ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंके अधिकतम धन्यवादके पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने उनको रास्ता दिखाया है। श्री काछलियाके कार्यपर अपनी पसन्दगी जाहिर करनेका सबसे अच्छा तरीका मुझे यही लगता है कि मैं उनके पीछे चलूं। इसलिए मैंने अपने लेनदारोंसे लिखा-पढ़ी शुरू की है। -- मैं देखता हूँ कि श्री काछलियाके इस कदमके नीतियुक्त होनेके बारेमें शंका प्रकट की गई है,[२] और उसका यह अर्थ लगाया गया है कि ब्रिटिश भारतीय व्यापारी यूरोपीय थोक पेढ़ियोंपर दबाव डालना चाहते हैं।[३] उनका यह कदम नीतियुक्त है या अनीतियुक्त - यह तो बहुत कुछ अपनी-अपनी रायकी बात है। मेरे धर्मकी शिक्षाके अनुसार, अगर कोई व्यापारी अपने लेनदारोंका पूरा रुपया चुकानेको ज्यादा से ज्यादा कोशिश करता है और अपने मालपर आ सकनेवाले खतरेके बारेमें उनको आगाह भी कर देता है तो उसका यह काम तारीफके

  1. अनुमान है कि इस पत्रका मसविदा गांधीजने तैयार किया था और इसे ई० एम० अस्वातके हस्ताक्षरसे भेजा गया था ।
  2. जोहानिसबर्ग व्यापार संघ ( जोहानिसबर्ग चैम्बर ऑफ कॉमर्स) की कार्य-समितिके जनवरी २२ के प्रस्तावमें।
  3. देखिए "पत्र : 'रैंड डेली मेल'को”, पृष्ठ १५९-६० ।