पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/२१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

११६. श्री काछलियाका विशेष आत्मत्याग

हम देख चुके हैं, श्री काछलियाने समाजके लिए मान-भरी गरीबी स्वीकार की है।[१] अब वे जोहानिसबर्ग जेलमें तीन माहका कड़ा कारावास भुगत रहे हैं। उनके साथ व्यापारियोंमें से श्री आमद मुसाजी तथा श्री मैमी भी हैं। श्री काछलियाने जो काम किया है, उसपर सारे भारतीय समाजको, और खासकर मुसलमान भाइयोंको, गर्व होना चाहिए। श्री काछलियाको अब और कुछ खास करनेको नहीं रहा। वे दूसरी बार हँसते-हँसते जेल गये हैं। जिस समाजमें ऐसे लोग मौजूद हैं, वह कभी पीछे नहीं हट सकता। ऐसे लोग दो-चार ही हों तो भी वे सारे समाजका बेड़ा पार लगा सकते हैं ।

हमें आशा है कि दूसरे सैकड़ों भारतीय श्री काछलियाके उज्ज्वल उदाहरणका अनुसरण करेंगे। ऐसे भारतीय जैसे-जैसे दुःख उठाते जाते हैं, वैसे-वैसे समाजके कर्तव्यका बोझ बढ़ता जाता है। यह बात हरएक भारतीयको ध्यान में रखनी है। श्री काछलिया तथा उनके साथी जेलमें रहें, और दूसरे भारतीय पोछे हट जायें तो इससे श्री काछलियाको निन्दा नहीं होगी, समाजकी मानहानि होगी ।

तमिल लोगोंने तो हद ही कर दी है। उनके सारे मुख्य व्यक्ति इस समय जेलमें जा बैठे हैं। इस बारका कारावास सिर्फ सात दिनका नहीं, तीन माहका है; वह सादा नहीं, सख्त है। ऐसे कारावासका भय रखे बिना जो भारतीय जेल गये हैं उनकी बहादुरीका पार नहीं है। जेलकी मियाद पूरी होनेके पहले उन्हें छुड़ा लेना बाहर रहनेवाले भारतीयोंके हाथमें है। यह कैसे किया जा सकता है, सो हम अपनी जोहानिसबर्गकी चिट्ठीमें अच्छी तरह बता चुके हैं।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, ६-२-१९०९

११७. सम्मेलन

सारे दक्षिण आफ्रिकाका एक राज्य बनाने के उद्देश्यसे आयोजित सम्मेलनकी रिपोर्ट प्रकाशित हो गई है। उसमें दस भाग और १५३ धाराएँ हैं। यह रिपोर्ट ३० मार्चको दक्षिण आफ्रिकाकी चारों संसदोंमें पेश की जायेगी। यदि उसे मंजूर कर लिया गया तो सम्मेलन फिर मई महीने में ब्लूमफॉन्टीनमें एक और अधिवेशन करेगा और जूनमें अपनी अन्तिम रिपोर्ट पेश कर देगा। उसे दक्षिण आफ्रिकाकी संसदें पास करेंगी। फिर कुछ प्रतिनिधि इस रिपोर्टको लेकर इंग्लैंड जायेंगे और उसके बाद एक वर्षके अन्दर दक्षिण आफ्रिकाकी नई संसदकी बैठक होगी। ये बातें ऐसी हैं, जिनपर गोरे एक हद तक गर्व कर सकते हैं। उन्होंने अपने काममें एकता दिखाई और अपने निजी स्वार्थीका त्याग किया, इस बातपर हम उन्हें बधाई देते हैं। जो लोग ऐसा कर सकते हैं, उन्हें विजय मिले, इसमें कोई आश्चर्य की बात

  1. देखिए “श्री काछलियाका आत्मत्याग ", पृष्ठ १७७ ।