पशुका मांस या उसकी चर्बी नहीं खा सकते। कुछ अपवादोंको छोड़कर भारतीय हिन्दू मांस या चर्बी कतई नहीं खा सकते ।
प्रार्थीकी विनीत सम्मतिमें ऊपर बताया गया परिवर्तन और भी बुरा है। कुछ मिलाये बिना भात खाना बहुत कठिन है। इसके अतिरिक्त भोजन-तालिका पोषणकी दृष्टिसे अपर्याप्त है, क्योंकि उसमें प्रति सप्ताह केवल दो औंस घी देनेकी तजवीज है ।
प्रार्थीने देखा है कि वर्तनियोंको सप्ताह में दो बार या कमसे-कम एक बार मांसके अतिरिक्त प्रतिदिन एक औंस चर्बी दी जाती है ।
प्रार्थीकी विनीत सम्मतिमें पुरानी तालिका, जिसमें चर्बीकी जगह घी रखा गया है और मांसकी बारीपर मांसके बजाय शाक रखा गया है, फिर लागू करनेसे न्याय हो जाता है।
यदि यह प्रार्थना अनुचित मानी जाये, तो प्रार्थीको भय है, उसके स्वास्थ्यको पर्याप्त पोषणकी कमीसे हानि पहुँचेगी।
प्रार्थी आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर भी आकर्षित करता है कि जिस परिवर्तनकी प्रार्थना की गई है वह जोहानिसबर्ग जेलकी भोजन-तालिकासे मिलता है।
यदि गवर्नरको यह प्रार्थना मंजूर करनेका कानूनन अधिकार (न)[१] हो तो प्रार्थी निवेदन करता है कि यह प्रार्थनापत्र जेल-निदेशकको[२] विचारके लिए भेज दिया जाये । इसके लिए अनुगृहीत हूँगा ।
मो० क० गांधी
टाइप की हुई अंग्रेजी प्रतिसे ।
सौजन्य : एच० एस० एल० पोलक ।
१३७. पत्र : मणिलाल गांधोको
कैदीका नाम: मो० क० गांधी
नम्बर (नामके आद्याक्षरोंके साथ) : ७७७
प्रिटोरिया जेल
ट्रान्सवाल
मार्च २५, १९०९
मुझे महीनेमें एक पत्र लिखने और एक ही पत्र पानेका अधिकार है। मेरे लिए यह एक समस्या हो गई थी कि किसको लिखूं। मैंने श्री रिचका, श्री पोलकका और तुम्हारा खयाल किया। मैंने तुमको ही चुना, क्योंकि मैं जो-कुछ इन दिनों पढ़ता रहा हूँ, उस सबमें तुम्हारा खयाल सबसे ज्यादा आता रहा है।
अपने सम्बन्धमें मुझे अधिक नहीं कहना चाहिए। कहनेकी मुझे अनुमति नहीं है। मैं बिलकुल शान्तचित्त हूँ और किसीको मेरे सम्बन्धमें चिन्तित न होना चाहिए ।