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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पीड़ित । जेल अधिकारी क्रूर । सरकार उत्पीड़ित करके आन्दोलनको भंग करनेकी कोशिश कर रही है।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : २९१/१४१ ।

१३९. भारतीय और शराब

[१]

[ प्रिटोरिया जेल
अप्रैल१०, १९०९ के पूर्व ]

महोदय,

मैंने आपका वह पत्र देखा है जो आपने आयोगके सम्मुख गवाही देनेके सम्बन्धमें ब्रिटिश भारतीय संघको भेजा है। अपनी गतिविधि अनिश्चित होनेसे मैं अपना वक्तव्य इससे पहले नहीं भेज सका हूँ; और न यही सम्भव हो सका है कि संघकी बैठक बुलाकर इस सम्बन्ध में विचार किया जाय कि किस तरहकी गवाही देनी है । संघके[२] अध्यक्ष और कार्यवाहक अध्यक्ष[३] जेलमें हैं। इसलिए यह वक्तव्य, जिसे मैं पेश करनेवाला हूँ, मेरे निजी विचारोंको ही व्यक्त करता है ।

मैं दक्षिण आफ्रिकामें पिछले पन्द्रह वर्षसे रह रहा हूँ। और लगभग इस पूरी अवधि में पदाधिकारीके रूपमें भारतीय सार्वजनिक संस्थाओंसे सम्बद्ध रहनेके कारण सभी वर्गोंके भारती- योंके सम्पर्कमें आया हूँ । १९०३ से मैं जोहानिसबर्ग में अटर्नीके तौरपर वकालत कर रहा हूँ; और मैं ब्रिटिश भारतीय संघ के अवैतनिक मन्त्री भी रहा हूँ ।

ट्रान्सवालमें १३,००० से अधिक वयस्क भारतीय पुरुष नहीं हैं। लड़ाईके दिनोंसे जो भारतीय वस्तुतः उपनिवेशमें रहे हों, उनकी संख्या कदाचित् १०,००० से अधिक कभी नहीं रही है। इस समय, एशियाई आन्दोलनके कारण, उपनिवेशमें शायद ५,००० से अधिक भारतीय नहीं हैं। ये मुख्यत: मुसलमान और हिन्दू हैं। यहाँ जो बात उद्दिष्ट है उसके खयालसे ईसाइयों और पारसियोंका विचार नहीं करता, क्योंकि वे यद्यपि भारतीय समाजके महत्त्वपूर्ण अंग हैं फिर भी संख्या कम हैं।

मुसलमान और हिन्दू, दोनोंके लिए उनके धर्मोमें मद्य-पान करना निषिद्ध है। मुस्लिम वर्ग मद्य निषेधपर बहुत कुछ कायम रहा है। मुझे दुःखके साथ कहना पड़ता है कि हिन्दू वर्गमें ऐसे लोगोंकी संख्या खासी है जिन्होंने इस उपनिवेशमें इस धार्मिक निषेधकी अवहेलना की है। जो भारतीय मद्य-पान करते हैं उन्होंने आम तौरपर कुछ अविचारी गोरोंकी सहायता प्राप्त करनेका तरीका अपनाया है। दूसरे तरीके भी हैं जिनका मैं उल्लेख करना नहीं चाहता।

  1. यह वक्तव्य गांधीजीने प्रिटोरिया जोहानिसबर्ग स्थित ट्रान्सवाल मद्य-आयोग (ट्रान्सवाल लिकर कमिशन ) को “ लिखित साक्षी" के रूपमें भेजा था। यह श्री गांधी के विचार " शीर्षकसे " इंडियन ओपिनियनके लिए विशेष " रूपमें प्रकाशित किया गया था ।
  2. अहमद मुहम्मद काछलिया ।
  3. ई० आई० अस्वात |