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भारतीय और शराव

मेरी राय यह है कि कानूनन मद्य-निषेध जारी रहे । किन्तु मेरा खयाल है कि मद्य- निषेधसे उन भारतीयोंको, जो शराब प्राप्त करना चाहते हैं, अड़चन नहीं हुई है। मेरी दृष्टिमें मद्य-निषेध जारी रखनेका एकमात्र लाभ यह है कि मेरे शराब पीनेवाले देशवासी शराब पीनेमें जो शर्म महसूस करते हैं वह कायम रहे। वे जानते हैं कि उनके लिए धर्म और कानून दोनोंकी दृष्टिसे शराब प्राप्त करना और पीना अनुचित है। इससे मद्य-निषेधके प्रचारक उनकी कानून पालन करनेकी भावनाको जागृत कर सकते हैं। कानूनको दोषपूर्ण तरीके से भंग करनेमें और अन्तरात्माकी पुकारपर एक अधिक ऊँचे कानूनका पालन करनेकी दृष्टिसे मानव-कृत कानूनको तोड़नेमें मैं एक बुनियादी अन्तर मानता हूँ। सौभाग्यसे जो भारतीय मद्य-सम्बन्धी कानूनको तोड़ते हैं वे जानते हैं कि उनका ऐसा करना गलत है।

मैं जानता हूँ कि मेरे कुछ देशवासियोंको, जो स्वयं मद्य-निषेधके पक्षमें हैं, मद्य-सम्बन्धी कानूनमें रंगके आधारपर लगाई गई एक और निर्योग्यता दिखाई देती है। सामान्यतः उनका कहना ठीक होता। किन्तु मेरा विश्वास है कि इस कानूनका रंगसे कोई सम्बन्ध नहीं है। मेरी रायमें, यह प्रमुख जातिकी ओरसे इस बातकी मान्यता है कि मद्यपानकी लत एक ऐसी बुराई है जिसे वह स्वयं तो छोड़नेमें असमर्थ है, किन्तु यह नहीं चाहती कि उसे दूसरी जातियाँ अपना लें। स्थितिको इस प्रकार देखते हुए, मेरा खयाल है कि एशियाइयों और रंगदार जातियोंके लिए मद्य-निषेध व्यापक मद्य-निषेधकी ओर संकेत करता है।

किन्तु व्यापक मद्य-निषेध हो या न हो, जबतक प्रमुख जाति शराब पीना जारी रखती है, चाहे वह बहुत संयमित ढंगसे ही क्यों न हो, तबतक, आंशिक मद्य-निषेध, वह जिस रूपमें लागू है, उस रूपमें, व्यावहारिक दृष्टिसे अधिक उपयोगी नहीं हो सकता। निवेदन है कि यह यूरोपीय और अन्य जातियोंके सम्पर्कसे उत्पन्न बुरे प्रभावोंका एक बड़ा उदाहरण है। और जबतक शराबसे बचनेका प्रचार करनेवाले लोग स्वयं ही उसपर अमल करनेके लिए तैयार न हों, तबतक सभी मद्य-सम्बन्धी कानून बहुत-कुछ अस्थायी उपाय सिद्ध होंगे। मैं चाहता हूँ, आयोग ट्रान्सवालके मतदाताओंको किसी तरह यह बता दे कि उनके कन्धोंपर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है। वे अपने प्रतिनिधियोंके लिए इतना बांछनीय कानून बनाना असम्भव कर देते हैं। उनको ही बहुत-से परिवारोंके छिन्न-भिन्न करनेकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेनी होगी। मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह समझकर लिख रहा हूँ। मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूँ कि कितने भारतीय नवयुवक, जिन्होंने कभी शराब चखी तक न थी, दक्षिण आफ्रिका या ट्रान्सवालमें आकर उसके शिकार हो गये हैं ।

यदि आयोग मुझसे कुछ प्रश्न पूछना चाहे तो मैं प्रसन्नतापूर्वक उत्तर दूंगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १०-४-१९०९