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१४०. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

[१]

प्रिटोरिया [जेल ]
अप्रैल २६, १९०९

प्रेषक

श्री गांधी (कैदी संख्या ७७७)

प्रिय हेनरी,

मुझे आर्थिक प्रश्नसे जितनी चिन्ता हुई है उतनी अन्य किसी बातसे नहीं हुई है। मुझे फीनिक्सपर ऋण होनेके विचारसे ही घृणा है; और कार्यालयपर ऋणका अर्थ वही है। ऐसी हालतमें जेवरोंके अलावा कुछ कानूनी किताबोंकी, अर्थात् उन किताबोंकी, जो मैंने इंग्लैंडसे मँगाई थीं, और कानूनी रिपोर्टोकी, तथा कार्यालयमें रखी बड़ी तिजोरीकी और घूमनेवाली अलमारीमें रखे विश्व-कोष (एनसाइक्लोपीडिया) की भी आहुति दे दी जाये । कानूनी किताबोंको प्लेफर्ड, बेन्सन या यदि उनकी स्थिति अच्छी हो तो, गॉडफ्रेसे लेनेके लिए कहा जा सकता है। यदि इनमें से कोई कुछ भी न ले सके तो आप एक सूची घुमा सकते हैं। वे खरीदके दामोंसे १० प्रतिशत कममें बिकनी चाहिए। तिजोरीका कमसे-कम १५ पौंड दाम आना चाहिए। गॉडफ्रेको (कटिसके) विश्व-कोषके ३ पौंड देन हैं। आप जानते हैं कि कर्टिसने ३ पौंड मुझसे ले लिये थे। यह रकम बहियोंमें नहीं है, अब वसूल की जा सकती है ।

मुझे मणिलालका एक लम्बा पत्र मिला है। यह ठीक ही लिखा गया है। मैं देखता हूँ कि श्रीमती पायवेलको अपनी पौत्रीपर गर्व है। वे उसको सबसे सुन्दर समझती हैं...[२] सावधान रहें। वाल्डो,[३] जो फीनिक्सका सम्भावित अंतेवासी माना जा सकता है, ऐसा नमूना है जिसे गढ़न है। यह कठिन कार्य है। मैं जानना चाहता हूँ कि कॉर्डिजका भाषण कैसा रहा और वह कहाँ हुआ था। क्या ठाकर बम्बईसे कुछ किताबें और टाइप लाया है ? मैं देखता हूँ कि ठाकर-परिवार छगनलालके साथ ठहरा है। मिलीकी[४] तरह छगनलालका स्वभाव भी चुपचाप कष्ट सहनेका है। लेकिन दोनोंपर इसका बुरा असर होता है। इसलिए वे मित्रोंकी स्थिति उलझन-भरी बना देते हैं। इसलिए मैं चाहता हूँ कि छगनलाल अपने सामर्थ्यसे अधिक भार न उठाये । जैसा कि उसकी माँ कहती है, वह ऐसा व्यक्ति है पत्तोंसे लदे पेड़के नीचे भी सूख जा सकता है । [ जबसे ] वह बड़ा हुआ है तभीसे उसके स्वभावमें मैंने यह विशेषता देखी है। मुझे अपने इस मतमें [ परिवर्तनका कोई कारण ] नहीं दिखाई दिया है। इसलिए कृपया उसे कहें कि वह अपने ऊपर ज्यादा जो

  1. मूल प्रति कटी-फटी है; इसलिए जहाँ शब्दोंका पता नहीं लग पाया है वहाँ यथासाध्य उन्हें अनुमानसे चौकोर कोष्ठकोंमें देकर अर्थको पूरा किया गया है ।
  2. यहाँ मूलमें कुछ शब्द गायब हैं ।
  3. पोलकका पुत्र |
  4. पोलककी पत्नी मिली ग्राहम पोलक ।