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पत्र: एच० एस० एल० पोलकको

भार न डाले। मैं नहीं जानता कि श्रीमती गांधीका इरादा क्या है। [ ठाकर-परिवारको ] उनके साथ ठहरना चाहिए था। अब पुरुषोत्तमदास और कॉडिज़ [ दोनोंके पास ] एक-एक छात्र है। कॉर्डिज [ छात्र रखते ] हैं, यह अच्छा है। यह बिल्कुल उनके अनुरूप ही है। परन्तु [पुरुषोत्तमदास ] ने किसी छात्रको रखा, यह शायद ठीक नहीं हुआ। उसके पास काफी जगह नहीं है। अनीको चार बच्चोंकी देखभाल करनी होती है। यही उसके लिए बहुत है। [पुरु- षोत्तमदास ] चाहता है कि अनीने पहले जो अपना कर्तव्य नहीं निभाया उसकी कमी पूरी करे। इस दिशामें उसने शुरुआत अच्छी नहीं की है। इसलिए मैं यह जाननेको बहुत इच्छुक हूँ कि उसने अपनी गरीब पत्नीका भार हलका करनेके लिए क्या किया है। उसने मुझे बहुत प्रिय सन्देश भेजा है, इससे अधिक मैं इस समय न कहूँगा। मैं चाहता हूँ कि फीनिक्स के सब लोग टॉल्स्टॉयकी जीवनी और "मेरा पश्चात्ताप' ( 'माई कन्फेशन्स' ) पढ़ें। दोनों किताब बहुत प्रेरणाप्रद हैं। वे आसानीसे दो दिनमें पढ़ी जा सकती हैं। गुजरातियोंको कविश्रोकी दोनों पुस्तकें भी, जो मेरे पास हैं, पढ़नी चाहिए । शायद ठाकर वे पुस्तकें ले आया होगा । वे सायंकालकी प्रार्थनाके आध घंटेमें से १० मिनट और रविवारको, गुजराती लोग जो अलग प्रार्थना करते हैं, उसके एक घंटेमें से आधा घंटा इस वाचनमें लगा सकते हैं। मैं कविश्रीके जीवन और उनकी रचनाओंके सम्बन्धमें जितना विचार करता हूँ, उतना ही मुझे लगता है कि वे अपने युगके सर्वश्रेष्ठ भारतीय थे । वस्तुतः मैं उनको धार्मिक बोधकी दृष्टिसे टॉल्स्टॉयसे ऊँचा मानता हूँ। मैंने उनकी ये पुस्तकें पढ़ी हैं। उनसे मुझे बहुत अधिक शान्ति मिली है। इनको बार-बार पढ़ना चाहिए। जहाँतक अंग्रेजीकी पुस्तकोंका सम्बन्ध है, मेरे मतसे टॉल्स्टॉयकी कृतियाँ विचारोंकी शुद्धतामें बेजोड़ हैं। उनकी जीवनके उद्देश्यकी व्याख्या अनुपम और सुबोध है। कवि और टॉल्स्टॉय दोनोंने जिन बातोंका प्रचार किया, उनको जीवनमें उतारा है। कविने अधिक गहरे अनुभवसे लिखा है। आप छगनलालसे रेवाशंकर जगजीवन ऐंड कं० को यह लिखनेके लिए कह दें कि मुझे उनको क्या देना है और वे मेरी बहनको[१] मासिक कितना भेजते हैं, यह मुझे बतायें । मणिलाल अपने अध्ययनसे कुछ असन्तुष्ट है। यह स्वाभाविक ही है। किन्तु यह अनिवार्य है। हम प्रयोगकी अवस्था में हैं और पहले छात्रोंपर इसका असर पड़ेगा ही। फिर भी उसे जो-कुछ पढ़ाया जाये उसको वह भली भाँति सीखे। मुझे आशा है कि मैं किसी दिन उसकी परीक्षा लूंगा । उसको अपने रेखागणितके पाठोंपर भरोसा था, लेकिन उनमें वह कच्चा निकला। वह नियम पालन और अध्यवसायकी आदत डाले और अध्ययनमें अपने ऊपर निर्भर रहना सीखे। सम्भव है, किसी दिन में स्वयं उसको थोड़ा पढ़ानेकी जिम्मेदारी ले सकूँ । बागवानीके सम्बन्धमें भी उसकी चिन्ता [ मैं] समझता हूँ। उसको धैर्य रखना चाहिए । उसे अपनी पूरी शक्ति [ लगा देनी चाहिए] और फिर चिन्ता और परेशानो [ से मुक्त रहकर ] सर्वथा प्रसन्न रहना चाहिए। मैं चाहता हूँ कि लड़के [ मणि- ] कमसे तमिलमें बात किया करें। मुझे खुशी है कि किचिन एक दिनके लिए फीनिक्स आये थे । मणिलालने यह नहीं लिखा कि वहाँ ठहरनेसे उनको अच्छा लगा या नहीं। आशा है, वहाँ उनके आरामका पूरा प्रबन्ध किया गया होगा। मगनलालको मेरी सलाह है कि उसने अंग्रेजीके इतने वाक्य तो कंठस्थ कर ही लिये हैं, अब उसे तमिलके भी कुछ वाक्य याद करने चाहिए। चंची प्रसन्न तो है ? या हरिलालके वियोगमें चिन्तित रहती है ? श्रीमती [गांधी] अब घरके कामकाज में हाथ

  1. गांधीजीकी सबसे बड़ी बहन रलियातबेन ।