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भाषण : जोहानिसबर्गकी सभामें

जेल जाते हैं। अध्यक्षने अपना सर्वस्व समर्पित करके सेवा की है और अब भी कर रहे हैं। दूसरोंकी भाँति ही मुझे भी जेल मिले और मैं उनके बाद छूटूं तभी मेरा मन मानेगा । कल जोहानिसबर्गकी जेलसे हमीदिया अंजुमनके अध्यक्ष श्री उमरजी साले छूटेंगे । डीपक्लूफ जेलसे श्री व्यास तथा श्री डेविड अर्नेस्ट भी रिहा किये जायेंगे । भारतीयोंको उन्हें लेनेके लिए जाना चाहिए। आशा है कि कानमिया लोग इस बार अपना पूरा उत्साह दिखायेंगे और श्री उमरजी सालेकी बग्घी खींचकर लायेंगे । मुझे विश्वास है कि वे वृद्ध महानुभाव अब भी समाजके लिए जेल जाना ही अच्छा समझेंगे। मैं दुआ माँगता हूँ कि खुदा पाक उनकी वृद्ध अवस्था होनेपर भी उन्हें शक्ति दे। दूसरोंका कर्तव्य भी उन्हींका अनुकरण करना है। लोगोंको बग्घी लेकर डीपक्लूफ भी जाना चाहिए, और [ श्री व्यास तथा श्री अर्नेस्टको भी ] गाड़ीमें ही ले आना चाहिए। इस समय मैं इससे अधिक कहना नहीं चाहता। यदि कोई भारतीय यह कहे कि हम हार गये हैं तो वह स्वयं ही हार गया है। जो जेल जाने- वाला मजबूत है, वह तो जीता हुआ ही है । खूनी कानून कब रद किया जायेगा और शिक्षितोंका हक कब मिलेगा, यह तो खुदाके हाथमें है। फिर भी यह इसपर निर्भर है कि हमारा उसमें विश्वास कितना है और हम किस मार्गको अपनाते हैं। खुदा सच्चेके साथ है। हम सच्चे हैं तो हमें जीत मिलेगी ही। दो महीनेकी जेलकी सजा भोगकर जब मैं फोक्सरस्टसे आया था तब भी इतने ही लोग उपस्थित थे। मैं आपसे पूछना चाहूँगा कि आप यहाँ "जी, हाँ जी हाँ," करने आते हैं या बोझा उठानेमें साथ देना चाहते हैं? आपको समझना चाहिए कि आपका कर्तव्य जेलके कष्ट सहना है । जेलमें और जेलके बाहर एक-सा ही है। फोक्सरस्ट जेलमें मेरे साथ कुछ तमिल भाई थे । श्री नायडू लिखते हैं कि वे अभी तक दृढ़ हैं और जेल जानेके लिए एक पैर उठाये तैयार हैं। हमारे लिए तो अखबार है, इसलिए हम समझ-समझा सकते हैं। तमिलोंकी भाषामें अखबार नहीं है, फिर भी वे कैसी बहादुरी दिखा रहे हैं और किस तरह अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं! उन्हें खुदापर भरोसा है। उनका उदाहरण लेकर हमें उनके पद-चिह्नोंपर चलना चाहिए। यदि हम ऐसा करें तो जीत हमारे साथमें है और समीप ही है। आप सबने और चीनी लोगोंने आज यहाँ मेरे स्वागतके लिए आनेका कष्ट किया है, मैं इसके लिए आपका आभार मानता हूँ । अभी कौमके रुखको समझे बिना मैं कुछ विशेष नहीं कह सकता हूँ; फिर भी आप जो कुछ पूछेंगे उसका खुलासा दफ्तरमें करूंगा। शपथ लेना और हाथ उठाना बहुत हो चुका । अब मैं वैसा नहीं चाहता। लेकिन हम यदि जेल जानेके लिए सच्चे दिलसे तैयार हों तो सारे रास्ते खुले हैं। और उसके लिए ही मैं आपको भरसक सलाह दूंगा । यदि आप वैसा करेंगे तो आपकी जय अवश्य होगी । अब भी समय गया नहीं है। आप इतना करें तो काफी होगा ।[१]

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २९-५-१९०९
  1. इसके बाद गांधीजी अंग्रेजीमें बोले; देखिए अगला शीर्षक ।